बीते 20 अगस्त को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की एक बैठक में महत्वाकांक्षी ‘डिजिटल इंडिया' कार्यक्रम को मंजूरी दी गयी. सरकार ने कहा है कि यह कार्यक्रम भारत को डिजिटल सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए निर्धारित किया गया है. डिजिटल इंडिया की प्रकृति रूपांतरकारी है व इससे सुनिश्चित होगा कि सरकारी सेवाएं नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध हों. आज के नॉलेज में पेश है...
More »SEARCH RESULT
बेलगाम महंगाई के पोषक- विकास नारायण राय
जनसत्ता 22 अगस्त, 2014 : वित्तमंत्री अरुण जेटली के अनुसार आम लोगों के लिए बवालेजान बनी महंगाई का सीधा संबंध बाजार में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति से है। भारतीय शासकों का यह जाना-माना तर्क रहा है, जो जनता को बरगलाने वाले अगले पाखंड की जमीन भी तैयार करता है। शासकों का अगला तर्क होता है कि आम लोगों की जरूरत की चीजों की आपूर्ति जमाखोरों ने रोक रखी है और...
More »देश में साढ़े चार लाख से ज्यादा परिवार बेघर !
आजादी के अड़सठ साल बाद भी देश में कम से कम साढ़े चार लाख परिवार बेघर हैं। बेघर परिवारों में से प्रत्येक का औसत तकरीबन चार( 3.9 व्यक्ति) व्यक्तियों का है। जनगणना के नये आंकड़ों(2011) से पता चलता है बीते एक दशक(2001-2011) के बीच बेघर लोगों की संख्या 8 प्रतिशत घटी है तो भी देश में अभी कुल 17.7 लाख लोग बिल्कुल बेठिकाना हैं। हालांकि देश की कुल आबादी में बेघर...
More »बबुआ से बड़ा झुनझुना- विनोद कुमार
जनसत्ता 21 जुलाई, 2014 : आजादी के बाद हमने वयस्क मताधिकार पर आधारित भारतीय गणराज्य की स्थापना की। मूल अवधारणा यह रही कि हम एक ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जिसके केंद्र में रहेगा देश का नागरिक। विधायिका उसके हित में कानून बनाएगी, कार्यपालिका उन कानूनों के दायरे में नागरिकों को एक विधि-सम्मत सुशासन मुहैया कराएगी, सेना बाह्य दुश्मनों से देश की सुरक्षा की गारंटी करेगी, पुलिस नागरिकों के जान-माल की रक्षा करेगी।...
More »शक्ति की करो तुम मौलिक कल्पना- रमेशचंद्र शाह
जनसत्ता 14 जुलाई, 2014 : भीतर और बाहर के सूने सपाट में अकस्मात यह कैसी तरंग उठी और उठ कर फैलती ही गई! महज एक काव्य-पंक्ति, सबकी जानी-मानी एक सुविख्यात कवि की क्यों इस तरह अयाचित और अकस्मात मन में कौंध उठी कि मुझे लगने लगा- मुझे जो कुछ कहना था वह मैंने कह दिया और कहने के साथ ही कर भी दिया। कुछ इस तरह कि मानो जो कुछ भीतर...
More »