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इस फसल को चाहिए नई बहार- हरजिंदर

बरसों से वे हमारे दरवाजे पर खड़ी थीं और हम कोई फैसला नहीं कर सके, वही जीएम या जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलें अब जब पिछले दरवाजे से हमारे घर में घुस आई हैं, तो हम परेशान हैं कि इसका करें क्या? वैसे इसे रोकने के बाकायदा नियम-कानून हैं। पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत ऐसे लोगों के लिए पांच साल की कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है,...

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ताकि मिले बढ़ती आबादी का फायदा- प्रो.सुरेश शर्मा

देश-दुनिया की तमाम सरकारों और नीति-निर्माताओं के लिए आज यह याद करने का दिन है कि जनसंख्या और उससे जुड़े मसलों का हल उनकी विकास-नीतियों के मूल में होना चाहिए। भारतीय संदर्भ में देखें, तो 1920 के दशक तक हमारे हिस्से में अत्यधिक जन्म-दर और मृत्यु-दर रही है, पर उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट देखी गई। जन्म-दर, मृत्यु-दर और जनसंख्या वृद्धि का परस्पर संबंध किसी देश की जनसंख्या का...

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जीरो बजट कृषि का विचार नोटबंदी की तरह घातक है- राजू शेट्टी

शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को लेकर एक स्वाभाविक आकर्षण है क्योंकि यह कृषि जैसे मुश्किल व्यवसाय को सरलता से प्रकट करता है। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि में जोखिम कम होता है और पूंजी की आवश्यकता नहीं के बराबर होती है। इसे विदर्भ के किसान नेता सुभाष पालेकर द्वारा गढ़ा गया है जिन्हें 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को वैसा ही स्थान मिला...

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आर्थिक संकट की गहराई- अरुण कुमार

आर्थिक मोर्चे पर हमारा देश इस समय बाहरी और घरेलू, दोनों तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है। अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों में अमेरिका-चीन, अमेरिका-यूरो जोन और अमेरिका-मेक्सिको के बीच जारी ‘ट्रेड वार' (कारोबारी जंग) महत्वपूर्ण तो हैं ही, भारत पर सीमा शुल्क लगाने संबंधी अमेरिकी चेतावनी भी खासा महत्व रखती है। अमेरिका ने ईरान, वेनेजुएला, रूस जैसे तेल-उत्पादक देशों पर भी प्रतिबंध लगा दिए हैं, जबकि इराक, सीरिया, यमन, लीबिया, नाइजीरिया,...

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वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांक में ख़राब रहा भारत का प्रदर्शन, 129 देशों में 95वें पायदान पर

नई दिल्ली: वैश्विक स्त्री-पुरुष समानता सूचकांक में भारत 129 देशों में से 95वें पायदान पर है. इस तरह से लैंगिक समानता सूचकांक की हालिया सूची में भारत घाना, रवांडा और भूटान जैसे देशों से भी पीछे है. अधिकतम 100 अंक में से सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के लैंगिक मापदंडों पर विभिन्न देशों के प्रदर्शन के मामले में भारत का स्कोर 56.2 रहा. बता दें कि यह सूचकांक गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा, साक्षरता, राजनीतिक...

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