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जंगल तभी छोड़ेंगे, जब मिलेगी जमीन

भोपाल. सरकार जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं करती है, हम एक इंच भी जमीन खाली नहीं करने वाले हैं। हम यहां जंगली जानवरों के बीच रह लेंगे लेकिन अपना घर नहीं छोड़ेंगे। यह कहना है कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क के भीतर बसे गांववालों का। केंद्र सरकार के आदेशानुसार, पार्क प्रशासन वहां बसे गांववालों को विस्थापित कर रहा है। शुरुआती चरण के दो गांवों को खाली करवाने के लिए फंड भी...

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बेलगाम महंगाई पर अब लगेगी लगाम!

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। महंगाई को रोकने की हर कोशिश नाकाम होने के बाद केंद्र सरकार को कृषि तथा मैन्यूफैक्चरिंग दोनों क्षेत्रों से खुशखबरी मिली है। वर्ष 2009-10 की तीसरी तिमाही के मुकाबले चौथी तिमाही में जहां कृषि विकास दर में ढाई फीसदी का इजाफा हुआ है और यह बढ़कर 0.7 फीसदी पर पहुंच गई है। वहीं मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में वृद्धि दर 13.8 से बढ़कर 16.3 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे अंतिम तिमाही में जीडीपी...

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स्विस बैंकों का नया पैंतरा

नई दिल्ली। काली कमाई की पनाहगाह माने जाने वाले स्विस बैंकों ने नया पैंतरा चला है। इन बैंकों ने अंतरराष्ट्रीय दबाव में भारतीयों व अन्य विदेशियों की जमा राशि पर कर लगाकर संबंधित सरकारों को तत्काल इस धन को देने की पेशकश की है। हालांकि अपने ग्राहकों का ब्यौरा देने से इन बैंकों ने फिर इन्कार किया है। एक साल से भी अधिक समय से स्विट्जरलैंड सरकार पर इस बात के लिए दबाव बनाया जा...

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जीडीपी आंकड़ें बेहतर रहने की उम्मीद

नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2009-10 के सोमवार को जारी होने वाले सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] के आंकडे़ अर्थव्यवस्था में नया उत्साह जगा सकते हैं, क्योंकि ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ये आंकडे़ 7.2 प्रतिशत के पूर्वानुमान से ऊंचे हो सकते हैं। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन [सीएसओ] ने इससे पहले वर्ष की जीडीपी वृद्धि के घोषित आंकड़ों में 2009-10 के दौरान 7.2 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है। ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि...

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रोटी को तरसते लोग, गोदामों में सड़ते अनाज

नई दिल्ली [उमा श्रीराम]। करीब 70 वर्ष पहले चर्चित कवि सुब्रमण्यम भारती ने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि यदि दुनिया में एक भी आदमी भूखा है तो इस विश्व को ही नष्ट कर दो। भारती जी ने तभी भारत की आजादी को देख लिया था और उन्होंने आधुनिक भारत, युवा वर्ग व महिलाओं को समर्पित करते हुए कई कविताएं रच डाली थी। पर दुर्भाग्य से वे यह कल्पना भी नहीं कर सके...

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