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उच्च शिक्षा में बढ़ती खाई-- शैलेन्द्र चौहान

भारत सरकार ने विश्वविद्यालय में शिक्षा हासिल करने वाले शिक्षार्थियों की संख्या 2030 तक बढ़ा कर तीस प्रतिशत करने का लक्ष्य तय कर रखा है। जबकि भारत में सिर्फ बारह प्रतिशत लोगों को ही विश्वविद्यालयों में प्रवेश मिल पाता है। वर्तमान में भारत में दूरस्थ शिक्षा (डिस्टेंस लर्निंग) यानी घर बैठे पढ़ाई करने वालों की तादाद पैंतीस लाख है। चिंताजनक बात यह कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने छात्रों और...

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मेधा के उत्पीड़न से सबक-- अफलातून

एक मेधावी और संवेदनशील युवा राजनीतिक की मौत ने भारतीय समाज को हिला दिया है. इस युवा में जोखिम उठाने का साहस था और अपने से ऊपर की पीढ़ी के उसूलों को आंख मूंद कर न मानने की फितरत भी. वह एक राजनीतिक कार्यकर्ता था, उसका संघर्ष राजनीतिक था. वह आतंक के आरोप में दी गयी फांसी के विरुद्ध था, तो साथ-साथ आतंक फैलाने के लिए सीमा...

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दुनिया में गुस्से और गैरबराबरी का नाता - एनके सिंह

दुनिया के मात्र 62 लोगों के पास विश्व के आधे लोगों की कुल संपत्ति से ज्यादा धन है। जाहिर है कि प्रकारांतर से जितना 62 लोगों के पास है, उतना शेष 350 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति भी नहीं है। कहा तो गया था कि यह आर्थिक सुधार है, पर इन 20 सालों में फायदा मिला अमीरों को। तीन जानी-मानी आर्थिक आकलन संस्थाओं ने एक ही निष्कर्ष निकाला है कि...

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नागरिक संगठनों ने की नये बजट में सामाजिक सुरक्षा योजना पर आबंटन बढ़ाने की अपील

नये बजट की चल रही तैयारियों के बीच नागरिक संगठनों ने वित्तमंत्री से मांग की है कि सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रमों के लिए आबंटन बढ़ाया जाय.(देखें नीचे दी गई लिंक)   जनवरी माह के पहले पखवाड़े में तकरीबन 20 नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बजट-पूर्व परामर्श के तहत वित्तमंत्री अरुण जेटली से भेंट की और तुरंत बाद के अपने प्रेस सम्मेलन में समवेत रुप से ध्यान दिलाया कि अपेक्षाकृत गरीब राज्यों में...

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उपलब्धियां बेमिसाल, फिर भी बाकी हैं सवाल- राजकुमार सिंह

आज हमारा गणतंत्र 66 साल का हो गया। लंबी गुलामी के बाद संघर्ष से मिली आजादी में गणतंत्र का यह सफर आसान हरगिज नहीं रहा। आजादी के साथ ही आयी विभाजन की विभीषिका से उबर कर भारत ने गणतंत्र की राह सोच-समझ कर ही चुनी थी। फिर भी अगर सफर आसान और परिणाम वांछित नहीं रहे, तो कारण विरासत में मिली जटिलताओं के साथ ही नीति-निर्धारण में दोष का भी...

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