जनसत्ता 26 अक्टुबर, 2012: भारत समेत दुनिया के सामने दो सबसे अहम समस्याएं भुखमरी और जलवायु संकट हैं। ये दोनों ऐसे मुद्दे हैं जिनसे न केवल मानवता के भविष्य बल्कि पूरे जीव-जगत और अंतत: दुनिया के अस्तित्व का प्रश्न जुड़ा हुआ है। विश्व भर में इन मुद्दों पर खासी चर्चा और चिंताएं भी हैं। लेकिन इनसे निपटने के लिए जो उपाय सामने आ रहे हैं उनमें न तो मुकम्मलपन दिखता है और...
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अखिलेश के लिए चुनौती बने भ्रष्ट अफसर
लखनऊ, 23 अक्तूबर। अखिलेश यादव के लिए उत्तर प्रदेश के भ्रष्ट अफसर चुनौती बने हुए हैं। पुलिस प्रशासन से लेकर सचिवालय तक सत्ता बदलने के सात महीने बाद भी ढर्रा बदला नहीं है। सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने करीब दो दर्जन विभागों के प्रमुख सचिवों को फटकार लगा कर इसकी पुष्टि भी कर दी है। बाद में कई अफसरों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई। दरअसल, बसपा राज में पहले...
More »पर्यावरण भी हो विकास का मानक- अनिल पी जोशी
हमने विकास का सबसे बड़ा मापदंड सकल घरेलू उत्पाद की दर को माना है। किसी भी देश की प्रगति उसकी जीडीपी के आधार पर तय की जाती है। इसमें उद्योग, सुविधाएं, रियल इस्टेट बिजनेस, सेवाएं आदि मुख्य रूप से आते हैं। सही मायने में खेती को ही जीडीपी या उत्पादन की श्रेणी में आना चाहिए, क्योंकि अन्य उत्पाद हमारी सुविधाओं से जुड़े हैं, न कि आवश्यकताओं से। विकास की मौजूदा अवधारणा...
More »बिना खाद वाली फसलें तैयार करने की कोशिश
गेट्स फाउंडेशन अनुवांशिक रूप से संवर्धित यानी जेनेटिकली मॉडिफाइड अनाज की फसलों का विकास करने के लिए ब्रितानी शोधकर्ताओं की एक टीम को एक करोड़ डॉलर की सहायता देगा. अनुवांशिक संवर्धन के क्षेत्र में ये ब्रिटेन में सबसे बड़े एकमुश्त निवेशों में से एक है. इस राशि से होने वाले शोध में मक्का, गेहूं और चावल की ऐसी फसलें उगाने की कोशिश होगी जिनके लिए बहुत कम खाद की जरूरत होगी...
More »जमीन पक रही है- भारत डोगरा
जनसत्ता 23 जून, 2012: अगर हमारे देश में ग्रामीण निर्धन वर्ग और विशेषकर भूमिहीन वर्ग को टिकाऊ तौर पर संतोषजनक आजीविका मिले इसके लिए भूमि-सुधार बहुत जरूरी है। इसके अलावा, अन्यायपूर्ण भूमि अधिग्रहण द्वारा जिस तरह तेजी से बहुत-से किसानों खासकर आदिवासियों की जमीन लेकर उन्हें भूमिहीन बनाया जा रहा है, उस पर रोक भी लगानी होगी। ऐसे महत्त्वपूर्ण सवालों के न्यायसंगत समाधान के लिए इस वर्ष के आरंभ से एक प्रयास...
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