जनसत्ता 29 जुलाई, 2014 : लोकतंत्र में अगर तंत्र की भाषा लोक से भिन्न हो जाए तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छा सूचक नहीं है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में भाषाई आधार पर भेदभाव के जो आरोप सामने आ रहे हैं उनसे अंगरेजी मानसिकता की वर्चस्ववादी नीति और भारतीय भाषाओं की दुर्दशा पर एक बार फिर विचार करने की जरूरत पैदा हुई है।...
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खस्ताहाल स्कूली शिक्षा से संकट में छात्रों का भविष्य
इंदौर के पास स्थित देपालपुर में स्कूली शिक्षा के नाम पर सरकारी खानापूर्ति सामने आई है। इस विकासखंड में ऐसे कई स्कूल हैं, जो एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। यह खबर एक तरह से पूरे देश की निराशाजनक तस्वीर पेश करती है। 12 लाख शिक्षकों की कमी है देशभर में 50 प्रतिशत स्कूलों साफ पीने की सुविधा नहीं ...
More »इन्क्लूसिव मीडिया-यूएनडीपी फैलोशिप 2014: आवेदन की अंतिम तिथि बढायी गई
इन्क्लूसिव मीडिया-यूएनडीपी फैलोशिप 2014 के लिए आवेदन पत्र भेजने की आखिरी तारीख 15 जुलाई 2014 से बढ़ाकर 1 अगस्त 2014 कर दी गई है। कृपया इससे सबंधित सूचना के लिए हमारे वेबसाइट का फैलोशिप वाला खंड देखें या नीचे लिखी सामग्री को पढ़ना जारी रखें। इन्कूलिसिव मीडिया-यूएनडीपी फैलोशिप-2014 के लिए पत्रकारों से हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में आवेदन आमंत्रित हैं। फैलोशिप के लिए आवेदन विकासशील समाज अध्ययन पीठ( सीएसडीएस) की एक परियोजना इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज की...
More »महिलाएं सूखी नदी का सीना चीरकर लातीं हैं पानी
श्रवण शर्मा/बालाघाट। पांजरा में पीने के पानी के लिए पसीने बहाना रोजमर्रा की मजबूरी है। खैरलांजी तहसील के इस गांव में महिलाओं को तपती धूप में डेढ किमी का फासला तय कर पानी मुहैया होता है। यहां रोजाना पैरों व हाथों की वर्जिश का सिलसिला शुरू होता है। दरअसल, सूखी चनई नदी में एक-एक स्थान पर दर्जनभर महिलाएं पानी के लिए गड्ढा खोदकर झील बनाती है। फिर घंटों पसीना बहाकर निकले...
More »समग्र स्वास्थ्य नीति के आधार- रितुप्रिया
जनसत्ता 17 जून, 2014 : दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट गहरा रहा है। पिछले डेढ़ सौ सालों में बनीं यूरोप और उत्तरी अमेरिका की सेवाएं उनके लिए भी अत्यधिक महंगी और एकांगी साबित हो रही हैं। मकिंजी कंपनी ने अनुमान लगाया था कि अगर स्वास्थ्य-सेवाओं पर खर्च ऐसे ही बढ़ता रहा तो 2100 में अमेरिका को अपनी सकल आय का सत्तानबे फीसद और यूरोप को साठ फीसद स्वास्थ्य...
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