जन स्वास्थ्य' का विषय राज्य सूची के अंतर्गत आता है. लेकिन भारत में लोक कल्याणकारी सरकार की अवधारणा है. इसलिए केंद्र सरकार द्वारा भी जन स्वास्थ्य को वरीयता दी जाती है. नतीजन सन् 2008 में "जन औषधि केंद्र" को शुरू किया जाता है. जहां सस्ते दामों पर सामान्य दवाइयां मिल सकें. 7 मार्च, 2022 को जन औषधि दिवस के उपलक्ष में एक कार्यक्रम होता है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जन औषधि...
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सिलिकोसिस: पत्थर कटाई करने वाले मज़दूर जीते जी नर्क में रहने के लिए मजबूर क्यों हैं
-द वायर, अगर आप गूगल पर सिलिकोसिस शब्द खोजेंगे तो आपको यह जवाब मिलेगा, ‘सिलिका युक्त धूल में लगातार सांस लेने से फेफड़ों में होने वाली बीमारी को सिलिकोसिस कहा जाता है. इसमें मरीज के फेफड़े खराब हो जाते हैं. पीड़ित व्यक्ति की सांस फूलने लगती है. इलाज न मिलने पर मरीज की मौत हो जाती है.’ लेकिन, हकीकत यह है कि सिलिकोसिस लाइलाज बीमारी है. एक बार सिलिकोसिस होने के बाद...
More »वाराणसी: एग्रो फूड पार्क की फैक्ट्रियों की गंदगी से काली हुई नाद नदी, ग्रामीण परेशान
गांव कनेक्शन, जोखू राम प्रजापति न ज्यादा बचपन में बीमार न हुए न जवानी के दिनों में, लेकिन बुढ़ापे में ऐसा बुखार आया कि अस्पताल में लाखों रुपए खर्च करने के बाद अब वो चारपाई पर आ गए हैं। घर के मुख्य दरवाजे पर पड़ी चारपाई पर ही लेटे रहते हैं। सीमेंट वाली चादर से लटकी ग्लूकोज की बोतल से बूंद-बूंद ग्लूकोज उनके शरीर में जाता रहता है, खाना-पानी भी नाक...
More »पूंजीवाद और लोकतंत्र के ऐतिहासिक रिश्तों के आईने में संवैधानिक मूल्यों की परख
-जनपथ, प्रस्तुत लेख पॉपुलर एजुकेशन एंड ऐक्शन सेंटर (पीस), दिल्ली द्वारा बीते वर्ष अक्टूबर में संवैधानिक मूल्यों पर शुरू की गयी एक फैलोशिप के तहत चलाए गए अभिमुखीकरण सत्र में दिए गए पहले ऑनलाइन व्याख्यान का संपादित रूप है। पीस के मुख्य कार्यकारी और प्रशिक्षक अनिल चौधरी ने सामाजिक-आर्थिक न्याय, पत्रकारिता और कला व संस्कृति के फैलोज़ को इस व्याख्यान में संबोधित किया था। संपादक गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए...
More »पंचतत्वः तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं!
-जनपथ, पिछला कैलेंडर साल खत्म होने वाला था कि कई लोगों ने नववर्ष की शुभकामनाएं देते वक्त इसको ‘आंग्ल नववर्ष’ करार दिया, नया साल ‘अपना नहीं है’ का जिक्र किया। मैंने जब इस बाबत पोस्ट किया कि भाई हर यूरोपियन चीज ‘आंग्ल’ नहीं होती तो कइयों को ‘मिर्ची’ लगी। मुझसे बहस के लिए उतरे लोगों में एक ‘खैनीखोर’ भाई भी थे, जिनको ‘झालदार’ चीजें बहुत पसंद थीं और घर में उन्होंने...
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