आम तौर पर, अर्थशास्त्री एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में एक विशेष अवधि में बेरोजगारी और काम से संबंधित अनिश्चितता की सीमा का आकलन करने के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर), श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) और बेरोजगारी दर (यूआर) जैसे संकेतकों का उल्लेख करते हैं. हालांकि, अन्य संकेतक भी हैं, जो रोजगार की स्थिति, आजीविका सुरक्षा और श्रमिकों की बदत्तर स्थिति को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकते...
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वैश्विक कीमतों में भारी बढ़ोतरी से उर्वरकों की कमी के संकट की आशंका
-रूरल वॉइस, अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरक कीमतों में भारी बढ़ोतरी का दौर चल रहा है। चीन द्वारा यूरिया और डीएपी के निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले के साथ ही बेलारूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाये गये आर्थिक प्रतिबंध इसकी बड़ी वजह बन रहे हैं। हालांकि चालू खरीफ सीजन में उर्वरकों की उपलब्धता का कोई कोई संकट नहीं है लेकिन तेजी से बढ़ती कीमतों के बीच उर्वरक कंपनियां आयात को टाल रही...
More »यूनेस्को साइंस रिपोर्ट 2021: रिसर्च और टेक्नोलॉजी डेवल्पमेंट भारत का भविष्य तय करेगी!
वैज्ञानिक ज्ञान ने भयानक कोरोनावायरस और इसके प्रसार से निपटने में बहुत मदद की है. रिकॉर्ड कम समय के भीतर, वैज्ञानिकों (वायरोलॉजिस्ट, एपिडेमियोलॉजिस्ट, बायोस्टैटिस्टियन, आदि सहित) और उनके शोध परिणामों ने आम लोगों को यह जानने में मदद की कि SARS-CoV-2 क्या है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कैसे फैलता है. आम लोगों को अब यह पता चल गया है कि कैसे सरल तकनीक और व्यवहार में...
More »'वोकल फॉर लोकल' का बेहतरीन उदाहरण है नीलगिरी में बसा यह 'टी स्टूडियो', जिसे स्थानीय महिलाएं ही करती हैं संचालित
-गांव कनेक्शन, नीलगिरी की चाय के बारे में लिखना थोड़ा मुश्किल है। यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि घुमावदार पहाड़ियों में ये चाय के बागान कैैसे दिखते हैं। हरियाली से ढंके इस इलाक़े में लाल रंग की एक छोटी सी बिल्डिंग बरबस अपनी तरफ़ आकर्षित करती है। लाल रंग की ये बिल्डिंग मुस्कान खन्ना का आकर्षक टी स्टूडियो है, जो तमिलनाडु के नीलगिरी में कट्टाबेट्टू के एक छोटे से गांव...
More »दूसरी लहर ग्रामीण जीवन पर कहर बरपा रही है, क्या यह ग्रामीण आजीविका को भी प्रभावित करेगी?
इस साल मार्च के बाद से हर रोज कोविड-19 के नए मामलों और मौतों में वृद्धि होने के बाद मीडिया ने रिपोर्ट (कृपया यहां और यहां क्लिक करें) किया कि प्रवासी कामगार अपने प्रवास स्थलों से मूल स्थानों (यानी मूल स्थानों) पर वापस लौट रहे हैं. शहरों और बड़े औद्योगिक कस्बों में जहां समाज के हाशिए के वर्गों से अनौपचारिक और कम कुशल श्रमिक मौसमी रूप से प्रवास करते हैं,...
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