पटना : नीति आयोग के सीईओ अमिताभकांत ने अपने जिस पैमाने से बिहार को आंकने के बाद बयान दिया है उस क्षेत्र में राज्य रणबाकुरा बना हुआ है. अमिताभकांत का बयान एक तरफ है, सच्चाई दूसरी तरफ. महान अर्थशास्त्री माइकल टोडारो (अमेरिकन) मानव विकास इंडेक्स में पिछड़ेपन के लिए जनसंख्या में तीव्र वृद्धि, निम्न प्रतिव्यक्ति आय और प्राथमिक क्षेत्रों पर निर्भरता को मुख्य कारण मानते हैं. बिहार...
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कम हो रही हैं श्रमबल में महिलाएं-- अजीत रानाडे
भारत की श्रमबल भागीदारी दर (एलएफपीआर) में महिलाओं का हिस्सा पिछले तेरह वर्षों के दौरान तेजी से गिरा है. यह कामकाजी उम्र की महिलाओं की कुल संख्या की तुलना में वैसी महिलाओं का अनुपात है, जो पारिश्रमिक पाते हुए रोजगार कर रही हैं. इस अनुपात में आयी गिरावट दरअसल एक अरसे के दौरान आयी है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, 15 वर्ष से 24 वर्ष की महिलाओं...
More »पैदावार में घुलता जहर-- अभिजीत मोहन
यह राहत की बात है कि केंद्र सरकार कीटनाशकों के दुष्प्रभावों पर गंभीरता से विचार करते हुए कीटनाशक प्रबंधन विधेयक को संसद से पारित कराने की दिशा में विचार करने को तैयार है। इस विधेयक को संसद से स्वीकृति मिलना इसलिए भी जरूरी है कि देश के विभिन्न हिस्सों से आए दिन कीटनाशकों के खतरनाक इस्तेमाल से किसानों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं। गौर करें तो विगत...
More »टीबी से निजात पाने की चुनौती-- अरविन्द कुमार सिंह
यह बेहद चिंताजनक तथ्य है कि दुनिया भर में टीबी (तपेदिक) की राजधानी कहे जाने वाले भारत में इस वर्ष पंद्रह लाख से ज्यादा नए तपेदिकमरीजों की पहचान हुई है। यह खुलासा खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट से हुआ है, जिसमें कहा गया है कि 2017 में 1 जनवरी से लेकर 5 दिसंबर के बीच 15,18,008 मरीज मिले हैं। इनमें से 12,05,488 मरीजों की पहचान सरकारी अस्पतालों से हुई...
More »उन पांच दिनों के नाम-- जयंती रंगनाथन
बात 1993 के अक्तूबर की है। पत्रकारों का एक दल लातूर में आए भूकंप का जायजा लेने मुंबई से वहां जा रहा था। उस दल में मैं भी थी। मुंबई से पुणे होते हुए दस घंटे की उस बस यात्रा के बाद जब सब थके-हारे चाय और खाने की तलाश में दो-चार हो रहे थे, मैं ढूंढ़ रही थी दवाई की दुकान। दुकान तो मिल गई, पर जब उससे पूछा,...
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