जनसत्ता 25 नवंबर, 2013 : बढ़ता कृषक असंतोष, छिटपुट विस्फोटों से प्रकट हो रहा है- भू-स्वामियों के बढ़ते शोषण और दमन के विरोध में सशस्त्र प्रतिरोध की तरफ बढ़ता हुआ यह घटनाचक्र पूरे देश के पैमाने पर, विशेषकर आदिवासियों की तरफ फैलता जा रहा है।’ क्या शीर्षक (आदिवासी: शोषितों में सबसे बुरी स्थिति) समेत इन पंक्तियों के बारे में यह ठीक-ठीक अनुमान लगाया जा सकता है कि ये कब लिखी गई होंगी?...
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झारखंड को सुराज की दरकार- अश्विनी कुमार
तेलंगाना के गठन की प्रक्रिया शुरू होने और इससे जुड़े विवाद से नये राज्यों के बनने की नयी संभावनाओं का द्वारा खुला है. झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के गठन के बाद छोटे राज्यों पर फोकस बढा. इन राज्यों के निर्माण के वक्त विकास व गवर्नेस दो मुद्दे बने. झारखंड के साथ बने अन्य दो राज्यों की मांग या निर्माण के पीछे जो भी कारण रहे हों, लेकिन झारखंड के गठन की ऐतिहासिक...
More »नये भूमिअधिग्रहण कानून, जनआंदोलन और उनकी राजनीति का असर पर दो दिवसीय बैठक
निमंत्रण नये भूमिअधिग्रहण कानून, जनआंदोलन और उनकी राजनीति का असर पर दो दिवसीय बैठक नवंबर 19-20-2013 9ः30 प्रातः से सांय 6ः00 बजे तक, गांधी शांति प्रतिष्ठान, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली प्रिय साथियों, जिंदाबाद जनआंदोलनांे के बरसों चले लम्बे संघर्ष के बाद देश में औपनिवेशिक भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 के स्थान पर ‘‘उचित मुआवजे का अधिकार, भूमिअधिग्रहण में पारदर्शिता, पुनर्वास और पुर्नस्थापना कानून, 2013‘‘ आया है। आम चुनाव व विधानसभा चुनाव कई राज्यों में होने वाले...
More »दलित-प्रश्न और मीडिया- उर्मिलेश
जनसत्ता 25 अक्तूबर, 2013 : ‘नो वन किल्ड जेसिका’, सिर्फ एक शानदार अखबारी शीर्षक नहीं था। अपराध-दंड प्रक्रिया में व्याप्त विसंगतियों को उद्घाटित कर वह एक जन-अभियान का नारा बन गया, जिसने अंतत: कामयाबी हासिल की। लेकिन मध्य बिहार के लक्ष्मणपुर-बाथे में मारे गए दलित-उत्पीड़ित तबके के अट्ठावन लोगों के बारे में लंबे इंतजार के बाद नौ अक्तूबर को पटना उच्च न्यायालय का जो फैसला आया, उसके बाद ऐसी आवाजें...
More »परिचर्चा: विकास की अवधारणा
निमंत्रण परिचर्चा: विकास की अवधारणा डॉ. शिवराज सिंह (योजना मंडल) और प्रो. हनुमंत यादव, चर्चा में- बी.के.मनीष के साथ. छत्तीसगढ़ इलेक्शन वॉच की ’विधानसभा चुनाव जागरूकता कार्यक्रम श्रृंखला” की पहली कड़ी. सायं ४ बजे, मंगलवार, २२ अक्टूबर, प्रेस क्लब, रायपुर. धार्मिक ध्रुवीकरण तथा सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को पार कर के अब चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़े जा रहे हैं। जहां राज्य और केंद्र की वर्तमान सरकारें चहुंमुखी विकास विकास के दावे करते नहीं थक रही हैं वहीं...
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