बरसों से जलसंकट से जूझ रहे महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल के उदगीर जिले के रावणकोल में पलते-बढ़ते समय एक अलग ही तरह का सामाजिक बदलाव मेरी नज़र में आया। जल-संकट के कारण उजड़ती खेती के साथ उजड़ते गांव। लोग आजीविका की तलाश में शहर चले जाते। परिवार बिखरते। ग्रामीण अर्थव्यवस्था, खेती और ग्रामीण व्यवस्था ही नहीं बदल रही है बल्कि सामाजिक मेल-जोल व एकजुटता खत्म हो रही है, क्योंकि घट...
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कब चेतेंगे हम ? पानी के लिए लगी धारा 144
मध्यप्रदेश के बैतूल में पानी पर पहरा, निर्माण कार्य पर रोक महाराष्ट्र के बाद अब मध्यप्रदेश में भी पानी पर पहरा लगा दिया गया है. बैतूल में पानी बचाने के लिए नये निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गयी है. इसके पहले महाराष्ट्र के लातूर में भी ऐसी नौबत आ चुकी है, जहां लोगों की प्यास बुझाने के लिए ट्रेनों से पानी के टैंकर भेजे गये. यह स्थिति देश में...
More »हकीकत में नहीं, कागजों में बढ़ रहे हैं जंगल
जंगलों के मामले में पूरे देश में झारखंड का 10वां स्थान आता है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआइ) के आंकड़े भी बताते हैं कि राज्य में जंगल बढ़ रहा है. सेटलाइट सर्वे के माध्यम से किये गये सर्वेक्षण में इसे बढ़ा हुआ बताया जा रहा है, जबकि हकीकत कुछ और बयां करते हैं. वन विभाग के अधिकारियों का इस बारे में अलग-अलग मत है. कई अधिकारियों ने सर्वे के...
More »भीषण जल संकट से बैतूल में धारा 144 लागू
बैतूल (ब्यूरो)। माचना एनीकेट के सूखने के बाद धारा 144 के तहत निर्माण कार्यों पर लगी रोक बाद अभी तक जैसे-तैसे फिल्टर से हो रही जलापूर्ति पूरी तरह से बंद हो गई। इसके साथ ही शहर के सभी वार्ड अब टैंकरों के भरोसे हो गए हैं। इधर नगर पालिका की समस्या यह है कि उसके पास ना तो पर्याप्त टैंकर हैं और ना ही पानी की ही समुचित व्यवस्था है।...
More »पानी नहीं तो मछली नहीं और बिन मछली मराठवाड़ा के लाखों मछुआरों का जीवन कैसे चले?- विनय सुल्तान
50 साल की गीता बाई और उनके परिवार की दिनचर्या में पिछले तीन साल के दौरान तेजी से बदलाव आया है. उनके लिए सही समय पर स्थानीय थोक मंडी में पहुंचना दिन की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है. वे मुंबई, पुणे या पता नहीं कहां से आई हुई मछलियों को थोक में खरीद कर शाम को लगने वाली हाट में बेचती हैं. जब हर रेहड़ी के लिए माल का...
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