इण्डिया और भारत के बीच की गहरी खाई में दो रोटियों के लिए स्कूल पहुंचने वाले बच्चों को पकाने वाले की जाति पर गुस्सा आ जाए यह बात अपने आप में चौंकाने वाली है अब तो मजहब कोई ऐसा भी चलाया जाए जिसमें इंसान को बस इंसान बनाया जाए 84 वर्षीय गीतकार गोपालदास नीरज ने अभी हाल में लखनऊ में अपने एक सम्मान समारोह में जब यह पक्तियाँ गाईं तो समूचा सभागार...
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एक सामान, दो टेंडर, कीमत दस गुनी
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सामान वही, सप्लायर वही, ग्राहक भी वही लेकिन टेंडर बदलने से दाम हुए दस गुना से भी ज्यादा। स्टेडियमों को सजाने की असलियत यही है। सीपीडब्ल्यूडी और डीडीए जैसी एजेंसियां जो सामान एक रुपये में खरीद रही थीं खेलों की आयोजन समिति टेंडर बदलकर उसी सामान की कीमत दस गुना से ज्यादा देने को तैयार हो गई। इन एजेंसियों के टेंडर रहस्यमय ढंग से बंद पड़े...
More »बढ़ रहा है जनता में जनाक्रोश
नई दिल्ली [उमेश चतुर्वेदी]। महंगाई की आग के खिलाफ पाच जुलाई के भारत बंद पर कारपोरेट तरीके से मूल्याकन के जरिए भले ही लाख सवाल उठाए जा रहे हों, लेकिन यह सच है कि इस बंद ने महंगाई की आग से झुलस रहे अधिसंख्य भारतीयों के गुस्से और क्षोभ को ही अभिव्यक्ति दी है। इस क्षोभ और गुस्से का महत्व इसलिए कम नहीं हो जाता कि इससे तेरह हजार या बीस...
More »जान बचाने के लिए सिर्फ 4 घंटे
कोटा. शहर में बाढ़ आ जाए अथवा बैराज से अधिक मात्रा में पानी छोड़ना पड़े तो चंबल की डाउन स्ट्रीम में बने 15 हजार मकानों में बसे करीब 75 हजार लोगों के सामने संकट आ जाएगा। जब यह मकान बने तब किसी ने आपत्ति नहीं जताई लेकिन, 4 साल पहले बनी जल प्लावन की स्थिति के बाद प्रशासन सचेत हुआ, लेकिन अभी तक यह चेतना केवल सर्वे करवाने तक ही...
More »करोड़ों की चीनी गली
भोपाल. अगस्त 2009 में सरकार ने जमाखोरों और व्यापारियों के खिलाफ मुहिम चलाकर शक्कर जब्त की थी। उस समय दावा किया गया था कि इससे आसमान छूती कीमतों में कमी आ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उलटा प्रदेशभर के अलग-अलग भंडारगृहों में पड़ी यह शक्कर अब खराब हो रही है। इतना ही नहीं मानसून की आमद ने इस खतरे को और ज्यादा बढ़ा दिया है। प्रदेशभर के भंडारगृहों की हालत खराब है...
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