मध्य वर्ग अपने राज्य के बजट को आमतौर पर नजरंदाज करता है। उसके लिए यह एक सालाना कवायद है, जो उसके रोजमर्रा के जीवन से बहुत ज्यादा वास्ता नहीं रखती। राजनीतिक टिप्पणीकार और मीडिया भी इसे लेकर एक तरह से उदासीन रहते हैं। मगर राज्य के बजट महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये बताते हैं कि सियासी दलों ने चुनाव के दरम्यान जो वादा किया था, उसे वे पूरा कर रहे हैं...
More »SEARCH RESULT
बीते 6 सालों से SC और ST में बेरोजगारी की बढ़त बहुत ज्यादा..!
चौंकिए कि सबका साथ, सबका विकास के गूंजते चुनावी नारों के बीच एक चौंकाने वाली खबर आई लेकिन मीडिया के एक बड़े हिस्से में रिपोर्ट होने से रह गई ! बीते पांच सालों में देश में बेरोजगारी बड़ी तेजी से बढ़ी है और समाज के वंचित तबकों में बेरोजगारी की बढ़त कहीं ज्यादा तेजी से हुई है. केंद्रीय नियोजन राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने संसद के बजट-सत्र में सदन को बताया कि...
More »छत्तीसगढ़-- गांव और किसान ही प्राथमिकता, बजट 80 हजार करोड़ पार
रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। गांव, गरीब और किसान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में हैं। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अनुपूरक बजट पर विधानसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि विगत वर्षों में भी हमने बजट में उनके लिए बेहतर से बेहतर प्रावधान किए हैं। राज्य के विकासात्मक व्यय में लगातार वृद्धि हुई है। उन्होंने सदन को बताया कि तृतीय अनुपूरक की इस राशि को मिलाकर राज्य सरकार के...
More »नीतियां सही, पर समय गलत-- डा. भरत झुनझुनवाला
बीते बजट की अधिकतर अर्थशास्त्रियों ने सराहना की है. बावजूद इसके इस पाॅलिसी के सफल होने में संदेह है. वर्तमान समय में यह पाॅलिसी अनुपयुक्त है जैसे मातम के समय शहनाई अनुपयुक्त होती है. वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स में छोटे करदाताओं को छूट दी है. छोटे करदाताओं को पूर्व में 2.5 लाख रुपये की छूट थी, जिसे बढ़ा कर 3 लाख रुपये कर दिया है. इस छूट के बाद...
More »आस्तियां कैसे बनीं अस्थियां!-- अनिल रघुराज
हम ऋण लेते हैं, तो वह हमारे लिए बोझ या देनदारी होता है. मशहूर कहावत भी है कि अगर हमें बैंक को 100 रुपये लौटाने हैं, तो यह हमारी समस्या है, लेकिन हमें अगर 100 करोड़ लौटाने हैं, तो यह बैंक की समस्या है. दरअसल, बैंक जब ऋण देता है, तब वह उसके लिए आस्ति होती है, क्योंकि मूलधन समेत उस पर मिला ब्याज ही उसकी कमाई का मुख्य जरिया...
More »