मुझे अपने बचपन का वह दिन अच्छी तरह याद है, जिस दिन मुझे अपनी साइकल मिली थी. तारीख नहीं याद, मगर उस दिन की खुशी याद है. आज मुझे ठीक-ठीक याद नहीं कि मेरी साइकल पहले आयी थी या पिताजी की मोटरसाइकल. लेकिन, दोनों के बीच शायद एकाध-साल का ही फर्क रहा होगा. मुझे वह दिन भी याद है, जिस दिन मैंने पहली बार टेलीविजन देखा था. उस दिन की...
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आरटीआइ में आम आदमी की ताकत
मित्रो, सूचना का अधिकार पर हम लगातार बात करते रहे हैं. इस अधिकार के लागू हुए आठ साल पूरे हो गये. हमारे कई पाठकों और आरटीआइ एक्टिविस्टों ने इसे जनतंत्र के खास अवसर के रूप में याद किया. इन आठ सालों में आम से लेकर खास और गैर सरकारी से लेकर सरकारी लोगों ने इस कानून का अपने-अपने हित और हिसाब से खूब किया. इसका अनुभव भी विस्तृत रहा. इस अनुभव को...
More »बिचौलिये उठाते हैं लाभ
सरकार ने राज्य के अधिकतर जिलों को सुखाड़ घोषित कर दिया. स्थिति भी सुखाड़ वाली है, लेकिन किसानों को क्या मिला. अभी केंद्रीय टीम आयेगी, जायजा लिया जायेगा, उसके बाद जो मिलना होगा, मिलेगा. लेकिन अभी तो किसान भूखे मर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर से सभी झंझावतों से लड़ते हुए यदि किसान फसल उपजाने में सफल रहे रहे, तो उसका उचित कीमत नहीं मिलेगा. अभी सरकार को किसानों के उत्पाद को लेने...
More »बिचौलिये उठाते हैं लाभ
सरकार ने राज्य के अधिकतर जिलों को सुखाड़ घोषित कर दिया. स्थिति भी सुखाड़ वाली है, लेकिन किसानों को क्या मिला. अभी केंद्रीय टीम आयेगी, जायजा लिया जायेगा, उसके बाद जो मिलना होगा, मिलेगा. लेकिन अभी तो किसान भूखे मर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर से सभी झंझावतों से लड़ते हुए यदि किसान फसल उपजाने में सफल रहे रहे, तो उसका उचित कीमत नहीं मिलेगा. अभी सरकार को किसानों के उत्पाद को लेने...
More »आम आदमी और उसका राजनीतिक प्रयोग- गिरिराज किशोर
जनसत्ता 24 अक्तूबर, 2013 : आजादी के बाद एक प्रयोग डॉ राममनोहर लोहिया ने राज्यों में संविद सरकार बनवाने का किया था, जो सफल भी रहा। इसका कारण था, उन्होंने सरकारों के लिए कुछ मानक तय किए थे। उदाहरण के लिए, जब थानू पिल्लै की सरकार ने छात्रों पर गोली चलाई गई तो उन्होंने सरकार से त्यागपत्र देने को कहा। इस पर मतभेद हो गया। लेकिन वे इस सिद्धांत पर...
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