हर साल देश में करीब पचास हजार करोड़ रुपए का अनाज बर्बाद हो जाता है। एक ऐसे देश में जहां करोड़ों की आबादी को दो जून ठीक से खाना नहीं नसीब होता, वहां इतनी मात्रा में अनाजों की बर्बादी किस तरह की कहानी कहती है? इसकी पड़ताल कर रहे हैं रविशंकर। यह विडंबना नहीं, उसकी पराकाष्ठा है कि सरकार किसानों से खरीदे गए अनाज को खुले में छोड़कर अपना कर्तव्य पूरा...
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श्रमिकों की मौत का मामला, चाय बागान नहीं चला सकते तो छोड़ दें: ममता
अलीपुरद्वार. उत्तर बंगाल के चाय बागानों में भूख और पैसे के अभाव में इलाज न करा पाने से श्रमिकों की हो रही मौत को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को बागान मालिकों को कड़ा संदेश दिया. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वे (बागान मालिक) चाय बागान नहीं चला पा रहे हैं तो इसे छोड़ दें. राज्य सरकार खुद श्रमिकों के हित में बागान चलायेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि...
More »'अब किसान हजामत भी नहीं बनवाते !'-- अजय शर्मा
लातूर के सोनावटी गांव के हज्जाम चंद्रकांत बाबू परेशान हैं. अब उनकी दुक़ान पर उतने किसान हजामत बनवाने नहीं आते जितने दो साल पहले आते थे. चंद्रकांत का धंधा आधा रह गया है. मराठवाड़ा के इस गांव में इस साल बारिश सामान्य से आधी हुई है. सूखे के बावजूद इस साल लोगों ने गन्ना उगाने की कोशिश की ताकि वो पिछले साल के नुक़सान की भरपाई कर सकें, मगर हो गया उल्टा. बीबीसी...
More »कैसे करें सूखे का सामना-- बाबा मायाराम
पिछले साल किसान सूखे की मार झेल चुके हैं। इस साल फिर सूखा पड़ गया। जबकि कुछ वर्षों से किसान निरंतर संकट में हैं। उनकी हालत पहले से ही खराब है। इस वर्ष सूखे ने उन्हें गहरे संकट में डाल दिया है। भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली है। खुद कृषि मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है कि सामान्य से पंद्रह-सोलह फीसद कम बारिश हुई। इससे खरीफ की फसल...
More »पर्यावरण के नजरिए से आहार- रमेश कुमार दुबे
अगर गोमांस (बीफ) के बढ़ते इस्तेमाल को पर्यावरण की दृष्टि से देखा जाए तो इतना विवाद न हो। गहराई से देखा जाए तो आज जलवायु परितर्वन, वैश्विक तापवृद्धि, भुखमरी, नई-नई बीमारियां प्रत्यक्ष रूप से मांसाहार के बढ़ते चलन से जुड़ी हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनइपी) के मुताबिक एक मांस-बर्गर तैयार करने में तीन किलोग्राम कार्बन उत्सर्जित होता है। ऐसे में धरती की रक्षा के लिए मांस की बढ़ती...
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