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पर्यावरण नियमों को ताक पर रखने वाली कंपनियों के लिए मुख्यमंत्री खट्टर ने की लॉबिंग!

-गांव सवेरा, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा केमिकल कपंनियों को एनवायरमेंट क्लीयरेंस दिलाने के लिए लॉबिंग का मामला सामने आया है. यमुनानगर स्थित 15 केमिकल कंपनियां पर्यावरण नियमों का पालन किये बिना धड़ल्ले से चल रही थी. कई साल बाद ये कंपनियां पर्यावरण अनुमति हासिल करने के योग्य नहीं थी लेकिन ऐसे में खुलासा हुआ है कि मुख्यमंत्री खट्टर ने इस साल मार्च में इन केमिकल कंपनियों को पर्यावरण...

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वायु प्रदूषण को रोकने के लिए 34 फीसदी देशों में नहीं हैं जरूरी कानून

-डाउन टू अर्थ, दुनिया के करीब एक-तिहाई देशों में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए जरूरी कानून नहीं हैं। वहीं जिन देशों में इस तरह के कानून मौजूद भी हैं, वहां इनमें और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी मानकों में काफी अंतर है। यह कानून काफी हद तक डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी गाइडलाइन्स से मेल नहीं खाते हैं। वहीं करीब 31 फीसदी देश ऐसे हैं जिनके पास इन वायु गुणवत्ता मानकों...

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हर साल निकाली जा रही 5,000 करोड़ टन रेत, भारत सहित 70 देशों में होता है अवैध खनन

-डाउन टू अर्थ, दुनिया भर में हर साल करीब 5,000 करोड़ टन रेत और बजरी नदियों, झीलों आदि से निकाली जा रही है। देखा जाए तो यह दुनिया में सबसे ज्यादा खनन की जाने वाली सामग्री है। आज जमाव से कहीं ज्यादा तेजी से इनका अंधाधुंध खनन हो रहा है, नतीजन यह अनेक पर्यावरण, स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याओं को जन्म दे रहा है। हाल ही में इसपर मैकगिल और कोपेनहेगन विश्वविद्यालय द्वारा...

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क्यों खतरनाक बनती जा रही है यात्रियों के लिए उत्तराखंड की चार-धाम परियोजना

-इंडियास्पेंड, उत्तराखंड अभी चमोली के दर्दनाक हादसे से उभर ही रहा है कि बारिश का मौसम आते ही एक बार फिर प्रदेश के विभिन्न इलाकों से चट्टानें गिरने और भूस्खलन की ख़बरें बढ़ने लगी हैं। भूस्खलन की इन घटनाओं में अधिकतर उन इलाकों की हैं जहां पर चार-धाम परियोजना का काम शुरू किया गया था। चार-धाम परियोजना, जिसे पहले 'ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट' के नाम से जाना जाता था, की शुरुआत उत्तराखंड में चार...

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बुंदेलखंड: बादल मेहरबान, किसान फिर भी परेशान

-डाउन टू अर्थ, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में झांसी जिले के किसान सुबोध यादव पिछले तीन दशक से सफल किसान के रूप में अपनी फसलों से संतोषजनक पैदावार ले रहे थे। लेकिन पिछले पांच सालों में मौसम, खासकर बारिश के बदले मिजाज ने खरीफ की फसलों के उनके हिसाब किताब गड़बड़ा दिया है। इस साल उन्होंने बारिश के पहले अपने नौ बीघा खेत में दस हजार रुपए की लागत से तिल...

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