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क्या मनरेगा के लिए आंवटित अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए मददगार साबित होगा ?

साल 2020 की शुरुआत में सामाजिक कार्यकर्ताओं और संबंधित अर्थशास्त्रियों ने साल 2020-21 के लिए गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत कम से कम 1 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की मांग की. लेकिन 1 फरवरी को वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मनरेगा के तहत केवल Rs.61,500 करोड़ आवंटित किए. जोकि 2019-20 में मनरेगा पर खर्च किए गए फंड की तुलना...

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बीजों का त्यौहार अक्ति और इससे जुड़ी जैविक खेती की अनोखी पहल -बाबा मायाराम

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के एक छोटा सा गांव कुहरी। गांव में पारंपरिक त्यौहार अक्ति मनाया गया, जिसके साथ जैविक खेती के नए आयाम जुड़े हैं। यहां की महिला किसानों ने इस मौके पर ठाकुरदेव की पूजा अर्चना की और अच्छी नई फसल की कामना की। पूजा-अर्चना के साथ ही इस त्यौहार के अवसर पर महिलाओं ने जैविक खेती करने का भी संकल्प लिया।  कुहरी गांव, बांसकुडहा पंचायत के अंतर्गत आता है। यह कोडार बांध के पास है,...

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तटीय किसान, दमदार घास ‘खसखस’ से दौलत कमा रहे हैं

-विलेज स्कवायर, चंद्रशेखर का खेत खारी हवा और लहरों की आवाज़ के बीच, बंगाल की खाड़ी के तट से सिर्फ 50 मीटर दूर है। पुदुचेरी के नरमाई गाँव के चंद्रशेखर (60) दो दशक से ज्यादा समय से यहाँ खेती कर रहे हैं। पहले वे कैसुआरिना और नारियल के पेड़ उगाते थे। चंद्रशेखर बताते हैं – “कैसुआरिना के पेड़ हमें हर छह या सात साल में उपज देते हैं और इस तटीय क्षेत्र...

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छत्तीसगढ़ की परंपरागत उतेरा खेती -बाबा मायाराम

छत्तीसगढ़ के कोटा विकासखंड का गांव सेमरिया। इस गांव के किसान फेंकूराम गंधर्व और संतोषी बाई ने उतेरा खेती विधि से फसल उगाई है। अभी उनके खेत में बटरी की फसल लहलहा रही है। फेंकूराम और संतोषी की तरह ही दानोखार, फुलवारीपारा, करहीकछार, सेमरिया के किसान भी फसल उगाने के लिए उतेरा खेती विधि का प्रयोग करते हैं. उतेरा खेती विधि में एक फसल कटने से पहले दूसरी फसल को बोया...

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जीरो बजट कृषि का विचार नोटबंदी की तरह घातक है- राजू शेट्टी

शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को लेकर एक स्वाभाविक आकर्षण है क्योंकि यह कृषि जैसे मुश्किल व्यवसाय को सरलता से प्रकट करता है। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि में जोखिम कम होता है और पूंजी की आवश्यकता नहीं के बराबर होती है। इसे विदर्भ के किसान नेता सुभाष पालेकर द्वारा गढ़ा गया है जिन्हें 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को वैसा ही स्थान मिला...

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