चिंताजनक. राज्य सरकार और पारा शिक्षकों के बीच खींचतान, मजाक बन गयी प्राथमिक शिक्षा कुछ मामलों में राज्य सरकार के शिक्षा विभाग की नीतियां स्पष्ट नहीं होने से राज्य की प्राथमिक शिक्षा ध्वस्त होती जा रही है. मांगाें को लेकर आये दिन पारा शिक्षक, शिक्षा परियोजनाकर्मी और बीआरपी-सीआरपी के कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं. इससे खासकर ग्रामीण इलाकों में स्कूलों की पढ़ाई ठप हो जा रही है. गौरतलब है कि राज्य...
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परिवहन की मुख्यधारा बनेगा नदियों का प्रवाह- जयंतीलाल भंडारी
सड़कों को तरक्की का मानक बनाने का एक नतीजा यह हुआ कि अपने जलमार्गों को हम भूल गए, जबकि इन्हें प्राकृतिक पथ कहा जाता है। सड़कें हम बनाते हैं, इन्हें तो कुदरत ने बनाया है। यही प्राकृतिक पथ कभी भारतीय परिवहन की जीवन-रेखा हुआ करते थे। लेकिन समय के साथ आए बदलावों व परिवहन के आधुनिक साधनों के चलते बीती एक सदी में भारत में जल परिवहन क्षेत्र बेहद उपेक्षित...
More »विवादों का अंतहीन सिलसिला -- ज्ञानेन्द्र रावत
सुप्रीम कोर्ट द्वारा कर्नाटक को कावेरी नदी का 15 हजार क्यूसेक पानी तमिलनाडु को देने के आदेश के बाद से कर्नाटक सुलग रहा है। वहां किसानों और कन्नड़ समर्थकों के हिंसक आंदोलन के चलते बेंगलुरू के कई इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा। हाईवे बंद हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दोनों राज्यों की जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है। कर्नाटक सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप...
More »वनाधिकार कानून-- दिन भर चले अढ़ाई कोस!
आदिवासी समुदाय को जमीन पर हकदारी देने वाले वनाधिकार कानून पर अमल का अंदाजा इस तथ्य से लगाइए कि इस साल के जून महीने के आखिर तक राष्ट्रीय स्तर पर वनपट्टों पर दावेदारी के तकरीबन 50 फीसद मामले खारिज किए गए हैं. खारिज किए गए ये मामले कुल 19 राज्यों के हैं. जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा वनाधिकार कानून के क्रियान्यवयन से संबंधित जारी नये आंकड़ों से इस तथ्य का खुलासा होता...
More »काहे रे नदिया तू बौरानी!-- अनिल रघुराज
पानी गले तक आ जाये, तो औरों का भरोसा छोड़ कर खुद ही सोचना और खोजना पड़ता है कि बचने का क्या रास्ता है. दो साल के सूखे के बाद सामान्य माॅनसून ने पूरब से लेकर उत्तर भारत के तमाम इलाकों में यही हालत कर दी है. शहरों, कस्बों व गांवों में लोग घरों से निकल कर सड़कों पर आ गये हैं. नदियां बावली हो गयी हैं. कई जगह तो...
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