आज विश्व की जनसंख्या सात अरब से ज्यादा है। अकेले भारत की जनसंख्या सवा अरब से अधिक है। भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। आजादी के समय भारत की जनसंख्या तैंतीस करोड़ थी, जो आज चार गुना तक बढ़ गई है। परिवार नियोजन के कमजोर तरीकों, अशिक्षा, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के अभाव, अंधविश्वास और विकासात्मक असंतुलन के चलते आबादी तेजी से बढ़ी है। संभावना है...
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किसान आंदोलन का हासिल -- योगेन्द्र यादव
महाराष्ट्र के एक गांव में शुरू हुई हड़ताल अब देश भर में किसान विद्रोह का रूप लेती जा रही है. सवाल है कि क्या यह विद्रोह सिर्फ उग्र विरोध बन कर रह जायेगा या फिर खेती-किसानी के लिए क्रांतिकारी परिवर्तन लायेगा? इस विद्रोह की चिंगारी से सिर्फ बस और ट्रक जलेंगे या कि इस आग में तप कर कुछ नया सृजन होगा? एक बात तो तय है. अहमदनगर जिले के...
More »एनडीए के राज में कितना कम हुआ भ्रष्टाचार, पढ़िए इस रिपोर्ट में..
‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा-' क्या आप बता सकते हैं कि तीन साल पहले चुनाव-प्रचार के दौरान कही गई इस बात पर कितने लोग विश्वास करते हैं ? इस सवाल का जवाब जानने में आपकी मदद सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज(सीएमएस) का एक अध्ययन कर सकता है. विकास के मुद्दों पर शोध और मीडिया एडवोकेसी की इस संस्था के हालिया अध्ययन सीएमएस-इंडिया करप्शन स्टडीज के मुताबिक लगभग 40 फीसद लोगों का विश्वास है कि मोदी...
More »कर्जमाफी नहीं है समाधान -- देविंदर शर्मा
इस हफ्ते की शुरुआत मध्य प्रदेश के 42 वर्षीय किसान रमेश बसेने की आत्महत्या के साथ हुई। हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर में बताया गया था कि उस पर 25,000 रुपये का कर्ज था। कुछ ही हफ्ते पहले महाराष्ट्र के एक किसान की 21 वर्षीया बेटी शीतल व्यंकट की आत्महत्या की भी दुखद खबर आई थी। अपनी शादी के लिए पैसे के इंतजाम को लेकर पिता की परेशानी उससे...
More »रोजगार देनेवाला एफडीआइ आये -- वरुण गांधी
भारत की अर्थव्यवस्था में एक अनोखा अंतर्विरोध दिख रहा है. बीते कुछ दशकों में, खासकर विकासशील देशों में पाया गया है कि मैक्रो इकनॉमिक्स में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के लिए एफडीआइ रामबाण है. ज्यादा एफडीआइ आने का मतलब देश की आर्थिक नीतियों की स्वीकार्यता समझा जाता है और अर्थव्यवस्था की तंदुरुस्ती का संकेतक माना जाता है. पिछले कुछ वर्षों में स्थिर रहने के बाद बीते तीन वर्षों में...
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