आजकल युवाओं का अच्छी नौकरी और उच्च वेतन पाने से संबंधित अलग-अलग तरह के दबावों के कारण आत्महत्या करना कुछ-कुछ समझ में आता है, लेकिन स्कूल में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों की आत्महत्याएं समझ से परे हैं, क्योंकि इनके कारण गैर-तार्किक ही नहीं, बल्कि अर्थहीन भी होते हैं। उन्हें अपनी हर समस्या का एक ही हल नजर आता है- आत्महत्या कर लेना। उपभोक्तावाद ने एक-दूसरे की समस्याएं समझने की शैली...
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नक्सलवाद को पस्त करने की चुनौती - संजय कपूर
अप्रैल का यह महीना केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के लिए बेहद बुरा रहा है। इस माह इसे इतनी जनहानि उठानी पड़ी, जो बीते सात वर्षों में सर्वाधिक है। पिछले 11 मार्च को भी माओवादी हमले में सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हुए थे, लेकिन वो घटना इसलिए सुर्खियों में नहीं आई, क्योंकि उसी दिन उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे आए थे और सारा देश उसी...
More »सरकारी शाहखर्ची और बदहाल किसान-- संजीव पांडेय
र्ष 2014 और 2015 भारतीय किसानों के लिए बुरे थे। दो सालों तक लगातार खराब मानसून के चलते देश के ग्यारह राज्यों के ढाई सौ से ज्यादा जिलों में सूखे की स्थिति रही। इस स्थिति में भी बिहार के औरंगाबाद जिले के चिल्हकी गांव के किसान खुशहाल थे। वे आज भी खुशहाल हैं। औरंगाबाद-डाल्टेनगंज रोड पर स्थित पिछड़ी जाति बहुल इस गांव की खुशहाली का कारण गांव के ही कुछ...
More »सरकारी डॉक्टर नहीं लिख रहे हैं जेनेरिक दवा, जनऔषधि स्टोर घाटे में
रायपुर। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय प्रदेश में 157 जनऔषधि दवा स्टोर संचालित कर रहा है। दवाएं मंत्रालय अधीनस्थ प्लांट में बनाई जाती हैं, इसलिए ये बाजार में मौजूद ब्रांडेड दवाओं से 13 गुना तक सस्ती हैं। इसके बावजूद सरकारी डॉक्टर जेनेरिक दवा लिखने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जानबूझकर ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं। मजबूरन जरूरतमंद मरीजों निजी दवा स्टोर से खरीदनी पड़ ही है। यही वजह है कि...
More »घोर विपदा की तरफ बढ़ता कश्मीर-- पी चिदंबरम
जम्मू एवं कश्मीर की स्थिति पर मैंने कई बार लिखा है, खासकर कश्मीर घाटी की स्थिति के संदर्भ के साथ। अप्रैल से सितंबर 2016 के दरम्यान, प्रस्तुत पेज पर, इस विषय पर छह स्तंभ आए। मेरा मुख्य तर्क यह था कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा सरकार और केंद्र सरकार ने जो नीतियां अख्तियार की हुई हैं उनके चलते हम कश्मीर को खो रहे हैं। कश्मीर घाटी के बाहर, कुछ ही लोगों...
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