छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में नसबंदी ऑपरेशन के दौरान लापरवाही के कारण एक दर्जन से ज्यादा महिलाओं की मौत हो गई। खबरों के मुताबिक औजारों को ठीक से रोगाणुहीन नहीं किया गया था या दवाइयों में कुछ मिलावट के कारण महिलाओं को विषबाधा हुई। प्राथमिक जांच में दूसरा कारण सामने आ रहा है। इस घटना से परिवार नियोजन कार्यक्रम पर प्रश्न-चिह्न लग गया है, जो मीडिया के मुताबिक न तो पारदर्शी...
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नसबंदी कांड की कड़ियां- कनक तिवारी
जनसत्ता 17 नवंबर, 2014: बिलासपुर नसबंदी कांड राज्यतंत्र की क्रूरता का बेहद घिनौना उदाहरण है। केंद्र प्रवर्तित और राज्य पोषित नसबंदी कार्यक्रम को लागू करने में इतनी लोकविधर्मी विसंगतियां हैं। पर इन्हें सरकारी अहंकार समझना ही नहीं चाहता। जनसंख्या-वृद्धि पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय शासन ने बरसों से अंतरराष्ट्रीय स्थितियों, समझौतों और समझाइशों के तहत नीतियां बनाने का प्रयत्न किया है। शासन और भद्रलोक के उपचेतन में इस मुगालते...
More »क्या गरीब ऐसी ही मौत को अभिशप्त हैं?- रुचिर गर्ग
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के गृह जिले बिलासपुर के एक गांव में हुए नसबंदी शिविर में ऑपरेशन के बाद अब तक 12 महिलाओं की मौत हो चुकी है। बहुत-सी महिलाएं गंभीरावस्था में अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। खुद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह मुख्य सचिव को साथ लेकर बिलासपुर पहुंचे और उन्होंने अस्पताल में भर्ती पीड़ितों का हाल जाना और दोषियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई के आदेश दिए। इस घटना ने...
More »मनमानी : जंगल का अफसर इंसानों के लिए खरीद रहा दवा!
रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकार ने इंसानों के लिए दवा खरीदने की जिम्मेदारी वन सेवा के अफसर (आईएफएस) सौंप रखी है। राज्य के आम लोगों के लिए दवा खरीदी करने वाली सरकारी संस्था छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) हर साल करीब 150 करोड़ रुपए से अधिक की दवा खरीदती है। इस कार्पोरेशन के संचालक प्रताप सिंह (आईएफएस) हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार कार्पोरेशन में एक भी डॉक्टर या दवा का विशेषज्ञ...
More »बढ़ते संसाधन घटता ज्ञान - शंकर शरण
जनसत्ता 11 नवंबर, 2014: एक समय था जब देश के जिला केंद्र ही नहीं, अनेक कस्बों में भी भाषा, गणित और विज्ञान के ऐसे शिक्षक होते थे जिनकी स्थानीय ख्याति हुआ करती थी। यह दो पीढ़ी पहले तक की बात है। तब विद्यालयों के पास संसाधन कम थे और शिक्षकों का वेतन भी बहुत कम था। स्कूल के कमरे, मामूली कुर्सी, बेंच, पुस्तक, छात्र और शिक्षक, यही तत्त्व शिक्षा-परिदृश्य बनाते...
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