धर्मेद्र पैगवार, भोपाल। जब पूरे देश में जनलोकपाल को लेकर आम जनता सड़कों पर है, तब सूबों में तैनात लोकायुक्त संगठनों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। मप्र में लोकायुक्त संगठन तो है, लेकिन खुद यहां के लोकायुक्त कई साल पहले इस संगठन को बिना दांत का शेर कह चुके हैं। लोकायुक्त जस्टिस प्रकाश प्रभाकर नावलेकर कहते हैं कि यहां संगठन तो है, लेकिन कुछ ऐसे अधिकारों की...
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‘खुले में क्यों पड़ा है गेहूं?’
जबलपुर. एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकार से पूछा है कि किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदा गया गेहूं क्यों पड़ा है? चीफ जस्टिस एसआर आलम और जस्टिस आलोक अराधे की युगलपीठ ने मामले पर भारत सरकार और राज्य सरकार सहित चार को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। पाटन तहसील के अंतर्गत कटंगी रोड निवासी अमित कुमार प्यासी की ओर से दायर...
More »सत्ता के गढ़ में सूचना की सेंध : हर्ष मंदर
लगभग दो दशक पहले जब राजस्थान के गांवों में रोजगार और मजदूरी के लिए संघर्ष करने वाले लोगों के बीच सूचना के कानूनी अधिकार के विचार ने आकार ग्रहण करना प्रारंभ किया, तब बहुत कम लोगों ने यह अनुमान लगाया होगा कि यह विचार इस विशाल देश में लोकतंत्र के स्वरूप को बदल देगा और उसकी जड़ों को और मजबूत बना देगा। आधुनिक भारत में राज्यतंत्र का दखल हमारे जीवन के...
More »ममता और टाटा में जंग: सरकार का सिंगुर की जमीन पर कब्जा, टाटा की याचिका पर नोटिस
कोलकाता. सिंगुर में रतन टाटा को फैक्ट्री बनाने के लिए दी गई जमीन पर पश्चिम बंगाल सरकार और रतन टाटा के बीच जंग छिड़ गई है। मंगलवार देर रात राज्य सरकार की पुलिस ने जमीन पर कब्जा कर लिया। टाटा ने इसके खिलाफ बुधवार को कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसके बाद कोर्ट ने प्रदेश के एडवोकेट जनरल को नोटिस जारी कर दिया। ममता बनर्जी ने चुनाव में किसानों से सिंगुर में...
More »बदल रहे हैं, गांव, देहात और जंगल- हरिवंश
फ़रवरी 2008 में चतरा के नक्सल दृष्टि से सुपर सेंसिटिव गांवों में जाना हुआ. साथ के मित्रों के भय और आशंका के बीच, देर शाम तक घूमना हुआ. सूनी सड़कों पर मरघट की खामोशी के बीच. तब तक लिखा यह अनुभव भी छपा नहीं. पाठक पढ़ते समय ध्यान रखें यह फ़रवरी 2008 में लिखी गयी रपट है. कभी डालटनगंज-चतरा के इन इलाकों में खूब घूमना हुआ. समाजवादी चिंतक, अब बौद्ध अध्येता व...
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