जनसत्ता 14 अगस्त, 2012: देश को नए मंत्री मिल गए हैं। देश की गहरी समस्याओं के जनक रहे पुराने लोग नई पोशाकों में आ खड़े हुए हैं। देखते हैं तो उनके हाथों में तलवारें भी वही बाबाआदम के जमाने की हैं- कागजी! सारे देश में सूखा पड़ा है और अभी अचानक बिजली चले जाने का नया रोग भी गहरा अंधेरा बनाने लगा है। इसे अगर एक प्रतीक से जोड़ कर...
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अगवा बचपन, बंधुआ बचपन- प्रियंका दुबे की रिपोर्ट(तहलका)
क्या हम जो खा रहे हैं उसे दिल्ली से अगवा बच्चे आस-पास के इलाकों में बंधुआ मजदूर बनकर उगा रहे हैं? प्रियंका दुबे की रिपोर्ट. दिल्ली में जहांगीरपुरी की एक झुग्गी बस्ती में रहने वाला 14 साल का महेंद्र सिंह सात अगस्त, 2008 की सुबह रोज की तरह घर से शौच के लिए निकला था. इसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला. घरवालों ने उसे तलाशने की न जाने...
More »राजग की सरकार बनी तो किसानों को बिना ब्याज कृषि कर्ज: गडकरी
भोपाल, 16 जुलाई (एजेंसी)। भाजपा के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने वादा किया है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में राजग की सरकार बनी, तो किसानों को बिना ब्याज कृषि कर्ज दिया जाएगा। गडकरी ने रविवार को यहां जंबूरी मैदान पर मध्यप्रदेश भाजपा की आयोजित ‘अटल किसान महापंचायत’ को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सहित भाजपा शासित राज्य जब किसानों को बिना ब्याज के कृषि कर्ज उपलब्ध करा सकते हैं, तो...
More »कार्टून विवाद के सबक- सुनील
जनसत्ता 30 मई, 2012: एनसीइआरटी की ग्यारहवीं कक्षा की एक पाठ्यपुस्तक के जिस कार्टून पर विवाद खड़ा हुआ, बात महज उस कार्टून तक रहती तो समझ में आती। लेकिन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने एक झटके में सारे कार्टून हटाने की घोषणा कर दी। छह साल पहले बड़ी मेहनत से तैयार कक्षा नौ से बारह तक की राजनीति शास्त्र की सारी पाठ्यपुस्तकों को वापस लेने का एलान कर दिया। बाकी समाज...
More »सुधार का कोई रास्ता नहीं दिखता ।। संजय मिश्र की प्रस्तुति ।।
- झारखंड के बाद बिहार से पंचायतनामा प्रकाशन की तैयारियों के सिलसिले में जिलों से लेकर ब्लॉक और पंचायत तक की यात्रा पर निकला. इस दौरान बीडीओ-सीओ से लेकर डीएम-एसपी से मुलाकात हुई. मुलाकातों में चर्चा व सवाल का केंद्र था—आखिर लोकल गवर्नेस में सुधार कैसे हो सकता है और इस सुधार में पंचायती राज की क्या भूमिका है और क्या हो सकती है? अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों ने इस आग्रह के साथ...
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