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केदली गांव, जिसे कोसी ने नौ बार उजाड़ा- पुष्यमित्र

केदली पंचायत के कुमर यादव ब्योरा देते हुए बताते हैं कि 1981 तक हमारी जिंदगी सामान्य र्ढे पर चल रही थी. हां, कोसी तटबंध के अंदर रहने की परेशानी जो दूसरे गांव के लोगों को होती थी, वह हमें भी होती थी. मगर उस साल अचानक कोसी नदी हमारे गांव के पास आकर बहने लगी और धीरे-धीरे गांव पर हमलावर होने लगी. 1983 में नदी ने हमारे गांव को पूरी...

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खेती की सुध कौन लेगा- धर्मेन्द्रपाल सिंह

जनसत्ता 1 अगस्त, 2014 : मौसम विभाग दावा कर रहा है कि वर्षा सामान्य से केवल दस प्रतिशत कम रहेगी। लेकिन बुआई का कीमती समय निकल जाने की भरपाई कैसे होगी, इसका जवाब उसके पास नहीं है। कृषि मंत्रालय ने एक जून से सत्रह जुलाई के बीच देश भर में धान, दलहन, सोयाबीन, कपास, मूंगफली आदि की बुआई का जो रकबा जारी किया है उसे देख कर लगता है कि इस...

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देश की जीडीपी के 75 फीसदी के बराबर काला धन है हमारे मुल्क में!- मुकुंद हरि

देश के प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्र "द हिन्दू" ने भारत में काले धन के आंकड़े को लेकर दी गई एक खबर देकर पूरे देश को चौंका दिया है. द हिन्दू की पत्रकार पूजा महरा के हवाले से लिखी गई खबर के मुताबिक देश में काले धन की मौजूदगी और उसके आंकड़े की पड़ताल के लिए सरकार की तरफ से जांच करवाई गई थी, जिसकी खुफिया रिपोर्ट के कुछ अंशों को...

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फसल बीमा में 200 करोड़ सीधे बीमा कंपनियों की जेब में

नईदुनिया एक्सक्लूसिव, रायपुर (ब्यूरो)। फसल आधारित बीमा में किसानों की मेहनत की कमाई की 200 करोड़ रु. से अधिक की राशि निजी बीमा कंपनियों की जेब में जाने वाली है। ऐसा सरकार से कृषि ऋण लेने वाले किसानों पर जबरिया लादी गई फसल बीमा योजना की वजह से होने वाला है। इस बात को लेकर किसान खासे चिंतित हैं कि उन्हें बीमा की शर्तों के हिसाब से क्षतिपूर्ति नहीं मिलने...

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कचरे को बना दिया कीमती संसाधन

कहानी है अमेरिका में मोटी तनख्वाह की नौकरी छोड़ स्वदेश लौटे मणि वाजपेयी और राज मदनगोपाल की. उन्होंने एक कंपनी बनायी ‘बैनयान नेशन'. इसके जरिये उन्होंने भारत में दिनोंदिन बढ़ते कचरे के प्रबंधन की दिशा में एक नयी इबारत लिखी है. सामाजिक उद्यम के रूप में स्थापित कंपनी उच्च तकनीक से लैस है. यह पारंपरिक ढंग से हट कर, छंटाई और रीसाइक्लिंग के जरिये कचरे का निबटान करता है. यह नव-उद्यम...

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