कोतबा, जशपुर (छत्तीसगढ़)। सौर सुजला योजना की प्रेरणा से रोकबहार की दुतिका मरावी ने मिश्रित खेती में कुछ अलग कर दिखाया है। रासायनिक उर्वरकों की जगह देशी गोबर खाद का उपयोग करते हुए जहां गुणवत्तापूर्ण सब्जी उत्पादन को लेकर दुतिका मरावी चर्चित हुई। वहीं तीन फसल कर हर माह वह 30 हजार की आमदनी करते हुए कई लोगों को रोजगार भी दे रही है। जनपद पंचायत पत्थलगांव के ग्राम पंचायत रोकबहार...
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किसान-आत्महत्याओं में कमी लेकिन खेतिहर मजदूरों की आत्महत्याओं में बढ़ती के रुझान
एक साल के दरम्यान खेती-किसानी के काम में लगे लोगों की आत्महत्या घटनाओं में 9.8 फीसद की कमी आई है- क्या इस तथ्य को खेती-किसानी की हालत में सुधार का संकेत मानें ? यह तथ्य केंद्रीय कृषि मंत्रालय के राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रौतेला के एक जवाब के जरिए सामने आया है. बजट-सत्र के दौरान राज्यमंत्री ने 20 मार्च को एक प्रश्न(संख्या-4111) के जवाब में संसद में बताया कि साल 2015 में खेती-किसानी से जुड़े 12602 लोगों...
More »क्या कहती है दौलतपुर की कहानी-- आलोक रंजन
केंद्र सरकार ने साल 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का एक चुनौतीपूर्ण अभियान शुरू किया है। तमाम तरह की रणनीति बनाने के प्रस्ताव दिए जा रहे हैं, पर हमें एक ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जिसमें किसानों में प्रगतिशील सोच विकसित हो और वे अपनी फसलों पर ऊंचा मुनाफा पा सकें। यहां मैं ऐसे ही एक किसान की कहानी आपसे साझा कर रहा हूं, जिसे बदलाव का वाहक...
More »महिला खेतिहरों के श्रम का अवमूल्यन क्यों-- ऋतु सारस्वत
हाल ही में जारी आर्थिक समीक्षा दो महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान खींचती है। एक यह कि कामकाजी महिलाओं की संख्या में गिरावट आई है। वर्ष 2005-06 में रोजगार में आ रही महिलाओं का प्रतिशत 36 था, जो कि कम होकर 2015-16 में 24 प्रतिशत रह गया है। दूसरा यह कि खेती, बागवानी, मत्स्य-पालन, सामाजिकी वानिकी में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका होने पर भी, उन्हें लंबे समय से उचित महत्त्व नहीं...
More »प्रसंगवश : संभावनाओं से भरे खेतों को बाजार से जोड़ना जरूरी
मौसम रूठा, बादलों से ओले बरसे और देखते ही देखते मध्यप्रदेश के एक हिस्से की फसलें जमीन पर जा गिरीं! यहां सरकार की मजबूरी समझी जा सकती है, लेकिन उसी दौरान दूसरे इलाके के खेतों में बंपर पैदावार की वजह से भाव नहीं मिले और किसान सड़कों पर टमाटर फेंकते, खेतों से पौधे उखाड़ते नजर आए! यह हर हाल में अस्वीकार होना चाहिए, किसान को भी और सरकार को भी!...
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