-न्यूजक्लिक, तू बोलेगी, मुंह खोलेगी तब ही ये ज़माना बदलेगा... ये सच है कि महिलाओं ने बोलना शुरू किया तो ज़माना बदलने लगा। पितृसत्ता की ज़ंग खाई बीमार सोच की तबीयत में रवानी आने लगी। जिसे एक पीढ़ी नामुमकिन मानती रही उसे दूसरी पीढ़ी ने सिरे से खारिज कर दिया। ये सदी औरत की सदी है। जो देश में नई इबारत गढ़ रही है। औरतों के संघर्ष का इतिहास बहुत लम्बा...
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चौरी चौरा के सरकारी पुनर्पाठ के ज़रिये गांधी और उनकी अहिंसा को खारिज करने की कवायदें
-जनपथ, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में ‘चौरी चौरा’ शताब्दी समारोह के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सम्बोधन को भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के (हाल के दिनों में लोकप्रिय बनाए जा रहे) उस घातक पुनर्पाठ के रूप में देखा जा सकता है जो गांधी और उनकी अहिंसा को पूर्णरूपेण खारिज करता है। संघ परिवार और कट्टर हिंदुत्व की हिमायत करने वाली शक्तियों का गांधी विरोध जगजाहिर रहा है और अनेक बार...
More »UNU-INWEH रिपोर्ट: बूढ़े हो रहे बड़े बांधों का तीव्रता से निपटान करने के लिए प्रोटोकॉल जारी करने की जरूरत!
बड़े बांध जो पर्यावरणीय क्षति और बड़े पैमाने पर विस्थापन का कारण बने हैं, उनका भारत में नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA), नेशनल अलायंस ऑफ़ पीपुल्स मूवमेंट (NAPM) और पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) जैसे नागरिक समाज संगठनों (CSO) द्वारा विरोध किया गया है. संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के कनाडा स्थित इंस्टीट्यूट फॉर वॉटर, एनवायरनमेंट एंड हेल्थ के साथ-साथ अन्य साथी संगठनों द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन से पता...
More »प्रदेश में किसान आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस हमें सता रही है : यूपी के किसान नेता
-कारवां, उत्तर प्रदेश के तीन किसान नेताओं के मुताबिक राज्य में तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन को पुलिस दबाने की कोशिश कर रही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के रामजन्म यादव ने 27 दिसंबर 2020 को किसानों की सभा में भाषण दिया था जिसके दो दिन बाद उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण कानून, 1970 के तहत जांच शुरू कर दी गई. इसी प्रकार वाराणसी...
More »सूखे बुंदेलखंड में जल संरक्षण की मिसाल है जखनी गांव
-वाटर पोर्टल, भारत में जब भी जल संकट की बात होती है, तो उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड़ का जिक्र जरूर होता है। यहां पाताल में जाता भूजल, मुंह चिढ़ाते सूखे कुएं-तालाब और दम तोड़ती नदियों के कारण बुंदेलखंड़ में किसान होना अभिशाप हो गया है। पानी की कमी के चलते किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। पानी का संकट, खेती में नुकसान और रोजगार का अभाव युवाओं को पलायन के लिए मजबूर...
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