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जरूरत से ज्यादा लोकतंत्र होने का भ्रम: बिना राजनीतिक आज़ादी के कोई आर्थिक आज़ादी टिक नहीं सकती

-द प्रिंट, अब यह बहस बेमानी है कि नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने जो यह कहा कि ‘हमारे यहां लोकतंत्र कुछ ज्यादा ही है’ उसका क्या मतलब है. आप उन लोगों के साथ भी जा सकते हैं जो इस बयान से नाराज हैं और इसे सीमित लोकतंत्र की मोदी सरकार की अवधारणा का एक बेबाक नौकरशाह के मुंह से किया गया खुलासा मानते हैं. या आप इस बृहस्पतिवार को ‘इंडियन...

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त्योहारी सीजन के दौरान भी व्यक्तिगत ऋणों में दिखे गिरावट के रूझान

इस साल धनतेरस और दिवाली से ठीक पहले, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने मासिक बुलेटिन का नवंबर संस्करण जारी किया. नवीनतम आरबीआई मंथली बुलेटिन में बताया गया है कि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में वित्तीय वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही (यानी जुलाई-सितंबर, 2020) में जीडीपी में -8.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. यह गौरतलब है कि भारत की...

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आर्टिकल 19: लड़ते-खपते किसान पर क्यों चुप हैं अपने-अपने मोहल्लों के भगवान?

-जनपथ, ऑस्ट्रेलिया में भारत के एक मुकाबले के बाद कप्तान विराट कोहली ड्रेसिंग रूम की तरफ जा रहे होते हैं। दर्शक दीर्घा में बैठी एक महिला जोर से चिल्लाती है- “विराट कोहली तुम कहां हो? किसान एकता जिंदाबाद.. भारतीय किसानों का समर्थन करो.. वर्ना तुम टॉयलेट पेपर से ज्यादा कुछ नहीं..।” इस टिप्पणी को सुनने के बाद किसी की भी अंतरात्मा जाग उठेगी। वह महिला भारतीय मूल की एक सामान्य महिला थी,...

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किसानों पर एफआईआर, आंदोलनकारियों पर मोदी सरकार की सख्त कार्रवाई

-आउटलुक, कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। किसानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने और महामारी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। गौरतलब है कि किसान 29 नवंबर को लामपुर बॉर्डर से दिल्ली की सीमा में घुस आए थे और सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर बैठ गए थे। वे...

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मिलावटी शहद ने मधुमक्खी पालकों की कमर तोड़ी

-डाउन टू अर्थ, “पिछले बीस-पच्चीस सालों से हम मधुमक्खी पालन का काम कर रहे हैं, लेकिन अब हमारी कमर टूट रही है। क्योंकि न तो सरकार और न ही कंपनियां, हमें इस काम में सहयोग कर रही हैं। वे बस हमारा शोषण कर रही हैं और हम इतने नीचे पायदान पर खड़े हैं कि उनका कुछ बिगाड़ भी नहीं सकते। यही कारण है कि हम सब अब थक-हार कर इस काम...

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