नयी दिल्ली, 11 जुलाई (एजेंसी) केन्रदीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने अपने बयान को मीडिया में कथित रूप से जानबूझ कर तोड मरोड कर पेश करने पर आज क्षोभ और नाराजगी व्यक्त की। चिदंबरम के हवाले से मीडिया में खबरें आयी थीं कि जनता आइसक्रीम के लिए 20 रूपये देने को राजी है लेकिन गेहूं चावल की कीमत में एक रूपये की बढोतरी का विरोध करती है । गृह मंत्रालय ने एक बयान...
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मानसून का दगा, 25 करोड़ के धान की नहीं होगी उपज
भागलपुर : मानसून से आस लगाये किसान इस बार अपेक्षा के अनुरूप धान की उपज नहीं कर पायेंगे. समय से बारिश नहीं होने की वजह से एक अनुमान के मुताबिक लगभग 25 करोड़ रुपये मूल्य के धान की पैदावार नहीं हो पायेगी. कृषि विभाग का अनुमान था कि इस बार 1.25 लाख मीट्रिक टन (12 लाख 50 हजार क्विंटल) की उपज होगी. लेकिन समय पर बारिश नहीं होने से ढाई लाख क्विंटल...
More »शहरीकरण खा गया छह हजार हेक्टेयर लहलहाती जमीन
जालंधर. जितनी तेजी से खेती की जमीन में कालोनियां काटी जा रही हैं, उनमें उतनी तेजी से घर नहीं बन रहे। वजह, लोग रहने के लिए नहीं, बल्कि निवेश के लिए प्लाट खरीद रहे हैं। ऐसे में खेती की जमीन लगातार कम हो रही है। पिछले सात वर्षो में जालंधर में शहरीकरण के नीचे का रकबा 24 फीसदी बढ़ गया है। लगातार कम हो रही खेती की जमीन को लेकर खेतीबाड़ी...
More »भोजन बर्बाद करने की इज्जत- अरुण कुमार त्रिपाठी
जनसत्ता 2 जुलाई, 2012: भोजन की बरबादी को सामाजिक प्रतिष्ठा माना गया है। उत्तर भारत की एक कहानी इस पाखंड को बखूबी बयान करती है। पिता ने अपने पुत्र को समझाया कि जब भी किसी और के घर आयसु (न्योता) खाने जाओ तो थोड़ा-बहुत भोजन छोड़ दिया करो। बेटे ने पूछा, पिताजी ऐसा क्यों? पिता ने समझाया कि बेटा, वह इज्जत है। आयसु खाते समय बेटे को पिता की हिदायत भूल...
More »मुंह फेरता मॉनसून खतरे की घंटी ।। कमलेश कुमार सिंह ।।
नयी दिल्ली : वैश्विक और घरेलू मोर्चो पर आर्थिक संकट की इस घड़ी में मॉनसून से राहत की उम्मीदें थीं, लेकिन मौसम विभाग की ताजा भविष्यवाणी इस उम्मीद पर भी पानी फेरती नजर आ रही है. मौसम विभाग, पुणे का कहना है कि देश को इस बार बीते 30 सालों के सबसे खराब मॉनसून का सामना करना पड़ सकता है. जानकार इसे अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी मान रहे हैं. कृषि...
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