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खाद्य-सुरक्षा: बदले बदले से सरकार नजर आते हैं- चंदन श्रीवास्तव

शांता कुमार की अगुवाई में बीते अगस्त में बनी उच्चस्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में तीन ऐसी सिफारिशें की हैं, जो सीधे-सीधे खाद्य-सुरक्षा अधिनियम यानी भोजन का अधिकार कानून में प्रदान की गयी हकदारियों पर चोट करती हैं. केंद्र सरकार सोचती है कि लोक-कल्याण की योजनाओं में भ्रष्टाचार होने से कुछ अच्छा होता है, तो भ्रष्टाचार अच्छा है. योजनाओं में भ्रष्टाचार का होना सरकार को चलती हुई योजनाओं से हाथ खींचने...

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खाद्य सुरक्षा पर दोरंगी चाल -- ज्यां द्रेज़

यूपीए की सरकार में जब राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम पर भारतीय संसद में बहस हो रही थी तो भाजपा के नेताओं ने इसे ज़्यादा मजबूत बनाने की पैरवी की थी. आम चुनावों के बाद जब ख़ुद भाजपा सरकार मे पूर्ण बहुमत में आ गई है तो पार्टी अपना स्टैंड बदलती प्रतीत हो रही है. हाल ही में भाजपा नेता शांता कुमार के अध्यक्षता में बनी एक उच्च स्तरीय समिति ने खाद्य...

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'बेटी के जन्म लेते ही आपको 21 हजार देगी सरकार'

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने लाडली सुरक्षा योजना का दायरा बढ़ाते हुए पहली बेटी के जन्म पर आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा की है। इसके लिए प्रदेश में हरियाणा कन्या कोष स्थापित किया जाएगा। इस कोष से अनुसूचित जातियों और बीपीएल परिवारों की सभी बेटियों को आर्थिक सहायता दी जाएगी। बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री ऐतिहासिक नगरी पानीपत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू किए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ राष्ट्रीय...

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अब भारतीय खाद्य निगम पर चलेगा मोदी सरकार का डंडा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय कमेटी ने विवादित फैसले लेने और भ्रष्टाचार की शिकायतों के कारण चर्चित रहे सार्वजनिक उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पर कतरने की सिफारिश की है। कमेटी का कहना है कि एफसीआई पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा में गेहूं, धान और चावल की खरीद का कार्य छोड़ दे। वरिष्ठ सांसद और पूर्व खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री शांता कुमार की अध्यक्षता...

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समाज और राजनीति के रिश्तों का संधान- अभय कुमार दुबे

राजनीतिशास्त्र के सर्वश्रेष्ठ विद्वान रजनी कोठारी के जीवन और कृतित्व के बारे में जाने बिना भारतीय राजनीति और समाज के आपसी रिश्तों के बारे जानना नामुमकिन है. इस लिहाज से उनका विमर्श भारतीय राजनीति की एक पूरी किताब की तरह है, जिसे पढ़ना हर समझदार व्यक्ति के लिए अनिवार्य है. 1969 में प्रकाशित अपनी सबसे मशहूर रचना ‘पॉलिटिक्स इन इंडिया' में उन्होंने दावा किया था कि भारतीय समाज के संदर्भ...

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