रायपुर(छत्तीसगढ़)। धान की ज्यादा पैदावारी की होड़ में एक ओर किसान अब उन्नत और हाइब्रिड किस्म को अपना रहे हैं। वहीं दूसरी ओर किसानों की एक समिति ने देशी धान की किस्मों को सहेजने की अनूठी मिसाल पेश की है। ये किसान धुर नक्सल और आदिवासी अंचल कोंडागांव जिले के छोटे से गांव गोलाबण्ड के हैं, जिन्होंने धान की 257 देशी किस्मों को स्थानीय तरीके से सहेजा है। इसमें काटा मेहर,...
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आत्महत्या करनेवाले किसानों के आश्रितों को मिलेंगे चार लाख
पटना: सूबे के वैसे किसान जो आत्महत्या कर रहे हैं उनके परिवारों के लिए राज्य सरकार ने नीति तैयार की है. इसी महीने तैयार हुई नीति को इसी वित्तीय वर्ष एक अप्रैल, 2014 से लागू कर दिया गया है. इसकी जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दी. जनता दरबार के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि इसके लिए संबंधित जिलों के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया...
More »गांवों की ओर भी देखें हुक्मरान- देविन्दर शर्मा
किसी गांव की एक महिला बकरी खरीदना चाहती है। वह आर्थिक तौर पर अपने पैरों पर खड़े होना चाहती है। यह जानते हुए कि उसे मदद मिल सकती है, वह इस काम के लिए लघु वित्तीय संस्थान (एमएफआई) में संपर्क करती है। उसे लगभग 7,000 रुपए की जरूरत है। एक स्वयं सहायता समूह के जरिए काम कर रही एमएफआई उसे 24 प्रतिशत की दर पर ब्याज के हिसाब से यह...
More »धान की देशी किस्मों के सुधार में गामा किरणे कारगर
रायपुर (छत्तीसगढ़)। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वैज्ञानिकों ने भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर (बार्क) मुंबई के सहयोग धान की देशी सुगंधित किस्में दुबराज और जवाफूल की नई किस्म विकसित की हैं। गामा किरणों के उपयोग से पारंपरिक देशी किस्मों में काफी सुधार हुआ है। इससे नई किस्मों की ऊंचाई पारंपरिक किस्मों से 40 सेंटीमीटर कम है। इसकी पकने की अवधि 35 से 40 दिन कम हैं और उत्पादन दोगुने से...
More »विज्ञान से ही सुलझेगी कृषि समस्या --शंथु शांताराम
जिस तरह भुखमरी के कगार पर पहुंच गए देश को 1960 के दशक की हरित क्रांति ने अन्न से संपन्न देश में बदल दिया था, उसी तरह आधुनिक जेनेटिक्स और जेनेटिक इंजीनियरिंग देश की कृषि समस्याओं के खात्मे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। अल नीनो समेत भारत पर पर्यावरण के बदलाव का असर पहले ही दिखने लग गया है, ऐसे में विज्ञान की मदद लेने के अलावा देश के...
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