ग्वालियर। सर, क्लास में पढ़ा रहा हूं। मैं तो स्कूल में ही हूं। अब ऐसी बात सुनकर अधिकारी स्कूल समय में टीचर की सही पोजिशन का पता मिनटों में लगा सकेंगे, क्योंकि जिले के शिक्षकों की मॉनिटरिंग अब स्कूल मॉनिटरिंग सिस्टम (एसएमएस) के जरिए ऑनलाइन होगी। जीपीआरएस की मदद से विभागीय सॉफ्टवेयर में ऐसे टीचर्स की लोकेशन ऑनलाइन दिखेगी। अगर कोई टीचर स्कूल में होने की बात झूठ बोलता है। तब...
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सर्व शिक्षा अभियान के 606 करोड़ मिले, अब तक 30 फीसदी राशि ही मिली
रांची: वित्तीय वर्ष 2014-15 में सर्व शिक्षा अभियान के लिए 1937 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. इसमें से अब तक करीब 30 फीसदी राशि यानी 606 करोड़ रुपये ही मिले हैं. जबकि वित्तीय वर्ष पूरा होने में लगभग साढ़े चार माह बचे हैं. राशि नहीं मिलने के कारण कई प्रमुख योजनाएं शुरू नहीं हो सकी हैं. राज्य में कक्षा एक से आठ तक लगभग 48 लाख बच्चों को नि:शुल्क...
More »बढ़ते संसाधन घटता ज्ञान - शंकर शरण
जनसत्ता 11 नवंबर, 2014: एक समय था जब देश के जिला केंद्र ही नहीं, अनेक कस्बों में भी भाषा, गणित और विज्ञान के ऐसे शिक्षक होते थे जिनकी स्थानीय ख्याति हुआ करती थी। यह दो पीढ़ी पहले तक की बात है। तब विद्यालयों के पास संसाधन कम थे और शिक्षकों का वेतन भी बहुत कम था। स्कूल के कमरे, मामूली कुर्सी, बेंच, पुस्तक, छात्र और शिक्षक, यही तत्त्व शिक्षा-परिदृश्य बनाते...
More »मुंबई की झुग्गी में शिक्षा की अलख जगाते सुपरहीरो अंकल
73 वर्षीय फिरोज अशरफ जोगेश्वरी की झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए सुपरहीरो अंकल से कम नहीं हैं। उम्र के इस पड़ाव पर आकर फिरोज का कहना है कि जब तक हाथ-पांव चल रहे हैं, बच्चों को पढ़ाता रहूंगा। 1997 से अब तक 5000 से ज्यादा बच्चे उनसे शिक्षा ले चुके हैं। फिरोज बताते हैं, उनका मकसद शिक्षा की उस कमी को पूरा करना है जो सरकारी स्कूलों की अनदेखी के...
More »मुंबई की झुग्गी में शिक्षा की अलख जगाते सुपरहीरो अंकल
फिरोज अशरफ ने बीस साल पहले नौकरी छोड़ दी थी। उनके पढ़ाए बच्चे आज झुग्गियों से निकलकर बड़े बैंक अधिकारी और वकील बन गए हैं। 73 वर्षीय फिरोज अशरफ जोगेश्वरी की झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए सुपरहीरो अंकल से कम नहीं हैं। उम्र के इस पड़ाव पर आकर फिरोज का कहना है कि जब तक हाथ-पांव चल रहे हैं, बच्चों को पढ़ाता रहूंगा। 1997 से अब तक 5000 से ज्यादा...
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