पटना: दोपहर एक बजे लंच की घंटी बजी. बच्चों के सामने रोजाना की तरह खाना भी आ गया. कुछ बच्चे खाने की ओर लपके, लेकिन जैसे ही उन्हें लाइन में लगने को कहा गया, सभी एक-एक कर पीछे हटते गये. बच्चों ने कहा, खाना नहीं खाऊंगा. पूछे जाने पर हल्की-सी आवाज आयी-मां ने कहा, खिचड़ी नहीं खाना. इसके अलावा कोई जवाब नहीं मिला. यह स्थिति बुधवार को राजधानी के प्राथमिक...
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अब वार्ड सदस्य को भी चाहिए योजनाओं के कमीशन में हिस्सा : दयामनी
हमारे गांवों का कितना विकास हुआ है. क्या चुनौतियां हैं. विकास के मौजूदा मॉडल से आप कितनी सहमत हैं? मौजूदा विकास को दो-तीन तरह से देखना होगा. पहले समझना होगा कि विकास का मतलब क्या है. किस तरह का विकास होना है और किसका विकास होना है. आज सरकार की नजर में विकास का जो पैमाना है, जिसे मेनस्ट्रीम सोसाइटी विकास मानती है, और जो विकास हो रहा है क्या कल...
More »आपदा का खनन- राहुल कोटियाल
उत्तराखंड जैसी आपदा से सहारनपुर कोई सबक लेने को तैयार नहीं. यहां प्रभावशाली लोगों की छत्रछाया में खुलेआम अवैध खनन का खतरनाक खेल खेला जा रहा है. राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. उत्तराखंड में आई आपदा से हुए नुकसान का आकलन अब भी जारी है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इस हादसे में मरने वालों की संख्या लगभग एक हजार के आस-पास है. लेकिन स्थानीय नागरिकों और इस हादसे से बचकर आए...
More »वेदांता पर फैसला करेगी ग्राम-पंचायत
भुवनेश्वर: केंद्र सरकार और स्थानीय आदिवासियों के कड़े विरोध के बावजूद ओडिशा सरकार ने शुक्रवार को नियमगिरी पर्वत में बॉक्साइट के खनन के बारे में निर्णय लेने के लिए 12 ग्राम सभाओं की बैठक की तिथियों की घोषणा कर दी. 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर्वत में खनन के बारे में अंतिम निर्णय स्थानीय ग्राम सभाओं पर छोड़ दिया था और तीन महीनों के अन्दर खुदाई से प्रभावित होने वाले...
More »पहाड़ के दुख के बीच रैम्बोगीरी
जनसत्ता 4 जुलाई, 2013: जोसेफ हैलर के प्रसिद्ध उपन्यास ‘कैच ट्वेंटी टू' में किसी नकली बीमारी का बहाना बना कर खुद को युद्धक्षेत्र भेजे जाने से मुक्त कर चुका बमवर्षक यूनिट का पादरी पाता है कि आह, भरोसेमंद तरीके से सचमुच का झूठ बोल जाना कितना सहज है! छाती ठोंक कर वह कहता है कि दरअसल निर्ममता को देशप्रेम और परउत्पीड़न को न्याय का पर्याय बताने वाले सफेद झूठों को...
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