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ऊर्जा जरूरतों के लिए दूरदर्शी नजरिया- जी पार्थसारथी

हमारे पश्चिमी आसपड़ोस में आज शिया-सुन्नी झगड़े के अलावा अरब-फारसी-इस्राइली प्रतिद्वंद्विता से जिस तरह की भू-राजनीतिक स्थितियां बनी हैं, उस तरह के हालातों का सामना भारत को 1973 में हुए अरब-इस्राइली युद्ध के बाद वाले लगभग चार दशकों से नहीं करना पड़ा है। तब सऊदी अरब के नेतृत्व में अरब तेल निर्यातक संघ (ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अरब पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) ने कनाडा, जापान, नीदरलैंड, अमेरिका और यू.के. को तेल देने पर...

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तेल पर मिलकर चलने को तैयार - सुषमा रामचंद्रन

हाल ही में ऐसे संकेत मिले हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए भारत और चीन मिलकर प्रयास कर सकते हैं। यदि ऐसा है तो यह निश्चित ही स्वागतयोग्य घटनाक्रम है। इसका मतलब है कि आर्थिक हितों को तवज्जो देते हुए विदेश नीति में अब कहीं ज्यादा व्यावहारिक रवैया अपनाया जा रहा है। दुनिया में अमेरिका के बाद भारत और चीन कच्चे तेल...

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गरीबी का दंश, सिर छिपाने को झोपड़ी, स्ट्रीट लाइट में पढ़ाई

धमतरी। सरकार छात्र-छात्राओं के बेहतर भविष्य के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती है। इसके बावजूद होनहार छात्र झोपड़ी में रहकर स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ाई-लिखाई करने मजबूर हैं। बमुश्किल दो वक्त का खाना मिल पाता है। कई बार तो रात में भूखा सोना पड़ता है। ग्राम पंचायत डोमा में निवासरत शत्रुघन सोनवानी और उसके चार बच्चे की यही दास्तान है, जो शासन-प्रशासन की योजनाओं को मुंह चिढ़ाती...

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स्वतंत्र-निष्पक्ष न्यायिक प्रक्रिया में बाधक-- अनूप भटनागर

कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड तथा उन्नाव बलात्कार कांड को लेकर खबरों में सबसे आगे रहने की होड़ में पीड़िता की पहचान सार्वजनिक करने जैसे मुद्दे पर मीडिया, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, को एक बार फिर अदालत की फटकार सुननी पड़ी है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कई मीडिया घरानों को तलब भी कर लिया है। बीते साल तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश जे.एस. खेहर ने आपराधिक मामले में संदिग्ध व्यक्तियों के मीडिया ट्रायल पर...

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श्योपुर जिले में जलसंकट : मवेशियों के साथ पलायन कर गए ग्रामीण

श्योपुर-बड़ौदा। सूखे का असर इंसानों के साथ जानवरों पर भी विपरीत रूप से पड़ा है। कराहल एवं विजयपुर विकासखंड के वनांचल में बसने वाले पशुपालक अपने मवेशियों की जान बचाने के लिए पलायन कर गए हैं। दोनों विकासखंड से पलायन करने वाले मवेशियों की संख्या 7 हजार से अधिक हैं। इनमें से 5 हजार गाय व 2 हजार भैंस और भेड़-बकरियां हैं। कलमी-गोरस पिपरानी आदि गांवों में गुर्जर-मारवाड़ी समुदाय के लोग...

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