हमारे एक पारिवारिक मित्र मूलत: गुजराती ब्राह्मण हैं। वे शुद्ध शाकाहारी हैं। जनेऊ पहनकर निष्ठा के साथ पूजा-पाठ करते हैं। भारत सरकार के निर्यात प्रोत्साहन संस्थान में वे वर्षों से एक महत्वपूर्ण पद पर काम करते रहे हैं। लेकिन मित्र-परिवार के साथ बैठकों में उनकी तरक्की, वेतन-भत्तों की बढ़ोतरी, निरंतर दुनियाभर के देशों की यात्राओं की मीठी बातों के साथ एक मुद्दे पर उन्हें चिढ़ाया जाता है - 'अरे, आपकी...
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भारत की कहानी में बिहार कहां है?-- शंकर अय्यर
आज बिहार उम्मीदों और निराशा के दोराहे पर खड़ा है। पिछले कई दशकों से अगर बिहार दुर्दशा झेल रहा है, तो इसकी वजह सिर्फ मंडल, कमंडल और जंगल राज नहीं है। इसकी असल वजह 'राजनीति' है, जिसमें 'राज' कुछ ज्यादा, तो 'नीति' जरूरत से काफी कम रही है। भारत में शासन को लेकर एक बेहद प्रचलित उक्ति है कि यहां वह सब कुछ जो गलत हो सकता है, वह लगातार...
More »जिल्लत की जिंदगी जी रहीं महिलाएं इंसाफ के इंतजार में
गौतम चौबे, रायपुर। छत्तीसगढ़ में टोनही प्रताड़ना से पीड़ित महिलाएं 15 साल से न्याय का इंतजार कर रही हैं। सालों बीत जाने के बाद भी उनके माथे से कलंक नहीं मिट पाया है और वे जिल्लत की जिंदगी जी रही हैं। अदालत की धीमी रफ्तार के कारण अभी तक उन्हें इंसाफ नहीं मिल पाया है और वे वयोवृद्ध हो चुकी हैं। पीड़िता श्याम बाई साहू 70 साल की हो चुकी...
More »सबर आदिवासियों के सब्र की इंतेहा-- ज्यां द्रेज
आदिवासी सबर समुदाय को जब तक कोई नजदीक से न देखे तब तक कभी जान नहीं सकता कि वो कैसे रहते हैं. और वहां तक पहुंचने के लिए भी ऐसे किसी इंसान से मदद लेनी पड़ेगी, जो उनकी रिहाइश के बारे में जानता है. हम किसी तरह झारखंड के पूर्वी सिंहभूम ज़िले में पोटका ब्लॉक के सुदूर इलाक़े की पतली पगडंडियों को पार करते हुए उनके घरों या कहें बिखरी हुई झोपड़ियों...
More »बच्चों की सेहत : कुछ और आगे बढ़े हम-- ज्यां द्रेज
हाल ही में जारी रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन (आरएसओसी) के निष्कर्षों में मुख्यधारा की मीडिया ने कोई खास दिलचस्पी नहीं ली. यह दुखद है, क्योंकि सर्वेक्षण के निष्कर्षों में सीखने के लिए काफी कुछ हैं. तीसरा नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (एनएफएचएस) करीब दस साल पहले 2005-06 में संपन्न हुआ था. चौथे एनएफएचएस के पूरा होने में लगी भारी देरी से भारत के सामाजिक आंकड़े बहुत पुराने हो गये हैं. सौभाग्य...
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