नई दिल्ली : घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की उर्वरक इकाइयों के जीर्णोद्धार के एक प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय ने ब्रेक लगा दिया है। सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के पुनर्गठन के लिए बने बोर्ड (बीआरपीएसई) ने सरकार से उर्वरक इकाइयों को फंड उपलब्ध कराने की मांग की थी जिसे मंत्रालय ने ठुकरा दिया है। बीआरपीएसई के प्रस्ताव के मुताबिक, बीमार उर्वरक इकाइयों को फिर से चालू करने में करीब...
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अंगूर के किसानों को पी गई शराब
नई दिल्ली [पुण्य प्रसून वाजपेयी]। नासिक शहर से करीब दस किलोमीटर दूर गंगापुर होते हुए करीब चार किलोमीटर आगे बनी देश की सबसे प्रसिद्ध वाइन फैक्ट्री जाने का रास्ता भी देश के सबसे हसीन रास्तो में से एक है। सह्यंाद्री हिल्स के बीच गंगापुर झील और चारो तरफ हरे-भरे खेत। इन सबके बीच सैकड़ों एकड़ की जमीन पर अंगूर की खेती। इन सबके बीच सांप की तरह शानदार सड़क और...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
More »कोसी का कहर
कोसी का कहर अगस्त 2008 में बिहार के एक बड़े इलाके पर टूट पड़ा। कोसी को कभी बिहार का शोक कहा जाता था। जब यह नदी पूर्णिया जिले में बहती थी तब एक कहावत बड़ी चर्चित थी कि ‘जहर खाओ, न माहुर खाओ, मरना है तो पूर्णिया जाओ।’ इस नदी का यह स्वभाव था कि वह अपना रास्ता बदलती रहती थी। यह कब अपना रुख बदल लेगी, इसका अंदाजा लगाना...
More »नरेगा- बदले बदले से सरकार नजर आते हैं..
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पक्का भरोसा है कि नरेगा के आगे इस साल का सूखा पानी भरता नजर आएगा लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने वाले बहुत से कार्यकर्ता नरेगा की कामयाबी को लेकर अब आशंकित हो उठे हैं, खासकर नरेगा के प्रावधानों में हालिया फेरबदल के बाद। इधर सूखे ने कुल २४६ जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है उधर बहस इस बात पर सरगर्म हो रही है...
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