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न्यूनतम मज़दूरी बढ़ने से रोजगार कम नहीं होता : जानिए इस साल के अर्थशास्त्र के नोबेल की कहानी

-न्यूजक्लिक, समाज के सबसे महत्वपूर्ण सवालों का जवाब बिना किसी छेड़छाड़ के अर्थशास्त्र कैसे दे? यही इस साल के अर्थशास्त्र में मिलने वाले नोबेल के रिसर्च का केंद्र बिंदु है। इस साल का अर्थशास्त्र का नोबेल डेविड कार्ड, जोशुआ एंग्रिस्त और गुइडो इम्बेंस को देने का ऐलान किया गया है। 65 साल के डेविड कार्ड मूल रूप से कनाडा के हैं और अभी अमेरिका के बर्कली में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।...

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कोविड-19 लॉकडाउन: सरकार द्वारा जीडीपी में काफ़ी ज़्यादा वृद्धि का भ्रम फैलाया जा रहा है

-द वायर, विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कहा है कि अप्रैल-जून 2021 के दौरान भारत की जीडीपी में 20.1 फीसदी की वृद्धि ‘चौंकाने वाली बुरी खबर’ है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरी प्रचार मशीनरी इसे बड़े आर्थिक सुधार के रूप में दिखा रही है. आखिर क्यों एक ही आंकड़े का एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न मतलब निकाला जा रहा है? बसु ने इसे सरल शब्दों में बताया है. दरअसल अप्रैल-जून...

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कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की समिति के सदस्य अनिल घनवत ने समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए मुख्य न्यायाधीश को लिखी चिट्ठी

केंद्र सरकार द्वारा जून, 2020 में लाये तीन नये कृषि कानूनों पर किसानों के आंदोलन का हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई समिति के सदस्य अनिल जयसिंग घनवत ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की गुजारिश की है। घनवत का कहना है कि हमने अपनी रिपोर्ट में किसानों के हितों के लिए जो सिफारिशें की हैं वह सरकार को भेजी...

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नवीनतम पीएलएफएस डेटा, विभिन्न प्रकार के श्रमिकों के बीच अल्प-रोजगार और स्वपोषित रोजगार में अवैतनिक सहायकों पर प्रकाश डालता है

आम तौर पर, अर्थशास्त्री एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में एक विशेष अवधि में बेरोजगारी और काम से संबंधित अनिश्चितता की सीमा का आकलन करने के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर), श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) और बेरोजगारी दर (यूआर) जैसे संकेतकों का उल्लेख करते हैं. हालांकि, अन्य संकेतक भी हैं, जो रोजगार की स्थिति, आजीविका सुरक्षा और श्रमिकों की बदत्तर स्थिति को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकते...

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आधिकारिक डेटा 2020 राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान शहरी क्षेत्रों में आजीविका संकट के गहराने की पुष्टि करता है!

हाल ही में जारी किया गया त्रैमासिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) डेटा मोटे तौर पर देशव्यापी लॉकडाउन अवधि के दौरान रोजगार और नौकरियों में गिरावट की पुष्टि करता है, हालांकि विभिन्न सर्वेक्षण-आधारित अध्ययन और शोध पत्र इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पिछले साल लॉकडाउन के बाद के महीनों में कुछ हद तक सुधार हुआ है. पीएलएफएस पर त्रैमासिक बुलेटिन केवल वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) संदर्भ में...

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