हमारे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी एक बौद्धिक व्यक्ति हैं और दुनियाभर में उनका सम्मान है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कुछ लोग दोनों को असफल नेता मानते हैं, या तो इस कारण कि मनमोहन सिंह के पास करिश्मा व व्यक्तिगत शक्ति नहीं है, या फिर इस वजह से कि ओबामा नस्लीय तौर पर एक अल्पसंख्यक समुदाय से...
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हमारे लोकतंत्र का शीत सत्र-- मोहन गुरुस्वामी
संसद का अत्यंत विलंबित शीत सत्र शुरू हो चुका है. इसमें मची चीख-पुकार के सिवाय, मेरी समझ से यह समाप्तप्राय है. ऐसे बहुत-से मुद्दे हैं, जिन पर चर्चा होनी ही चाहिए थी, मगर वह नहीं होगी जैसे, राफेल, प्रस्तावित वित्तीय संकल्प और जमा बीमा (एफआरडीआई) बिल, जीएसटी का क्रियान्वयन, नोटबंदी की सामाजिक एवं आर्थिक कीमतें, ग्रामीण संकट, आदिवासी अशांति, नेपाल की घटनाएं, मालदीव के साथ चीन का मुक्त व्यापार करार....
More »त्रिपुरा के आदिवासी और टैगोर-- रामचंद्र गुहा
कोई दस एक साल पहले शांतिनिकेतन जाना हुआ। वहां मेरी मुलाकात वाइस चांसलर के सचिव का काम कर रहे बौद्ध भिक्षु से हुई। वे त्रिपुरा से थे, जहां से शांतिनिकेतन की स्थापना के बाद छात्रों का आना लगातार जारी था। कुछ ही दिन बाद मैं मणिपुर गया, जहां की नृत्य और संगीत परंपरा चमत्कृत करने वाली है। मुझे बताया गया कि टैगोर कभी मणिपुर आए तो नहीं, लेकिन त्रिपुरा महाराज...
More »बेरोजगारी का दंश, जाति के तर्क--- ए. श्रीनिवासन
बीते शनिवार को मशहूर दलित लेखक और एक्टिविस्ट कांचा इलैया को हैदराबाद के उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। आंध्र और तेलंगाना पुलिस ने सुरक्षात्मक वजहों से यह नजरबंदी की, ताकि इलैया को अभिव्यक्ति की आजादी विषय पर विजयवाड़ा में भाषण देने जाने से रोका जा सके। अपने लेखन से धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए कांचा इलैया को जान से मारने की कई धमकियां मिल चुकी हैं। इलैया...
More »विकास बनाम जातिवाद का द्वंद्व - विजय संघवी
गुजरात में चुनावी रस्साकशी चरम पर है। इस राज्य में अगर कांग्रेस की रणनीति पर गौर करें तो लगता है कि उसने सत्ता में वापसी की अपनी तमाम उम्मीदें जातिगत समीकरणों पर टिका दी हैं। गौरतलब है कि उसने तकरीबन चार दशक पूर्व 1980 में भी इस राज्य में जातिगत समीकरणों को साधते हुए पूर्ण बहुमत हासिल किया था। लेकिन कांग्रेस यह भूल रही है कि तब से अब तक...
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