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विश्व आदिवासी दिवस : कहां खड़े हैं आदिवासी

अनुज कुमार सिन्हा : एक आदिवासी (सही शब्द जनजातीय) बहुल राज्य रहा है. विश्व अादिवासी दिवस (नौ अगस्त) के माैके पर यह चिंतन का वक्त है कि आदिवासी समाज कहां खड़ा है, देश आैर झारखंड में उनकी वास्तविक स्थिति क्या है. जल, जंगल और जमीन आरंभ से आदिवासी जीवन से जुड़ा रहा है. समय के साथ-साथ बदलाव हुए हैं आैर यह समाज भी बदला है. अंगरेजाें के खिलाफ...

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स्वतंत्र भारत की महानतम लेखिका-- रविभूषण

स्वतंत्र भारत के बांग्ला साहित्य में ही नहीं, भारतीय साहित्य में भी महाश्वेता देवी (14 जनवरी, 1926- 28 जुलाई, 2016) ने जो नयी जमीन और दिशा दी, उसे आज उर्वर और सार्थक बनाना जरूरी है. बहुत कम लेखकों की पारिवारिक पृष्ठभूमि साहित्यिक रूप से समृद्ध होती है. दिनेश रंजन दास और गोकुलचंद्र नाग ने बीसवीं सदी के आरंभिक दशक में जिस 'कल्लोल' पत्रिका का आरंभ किया था, उससे बांग्ला साहित्य...

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हिंसा से बेअसर भारतीय मध्य वर्ग-- आकार पटेल

भारत में ऐसे तीन बड़े इलाके हैं, जहां लंबे समय से हिंसक संघर्ष चलता आ रहा है. पहला, जम्मू-कश्मीर है, दूसरा मध्य भारत का आदिवासी क्षेत्र है जो झारखंड, ओड़िशा व छत्तीसगढ़ से जुड़ा हुआ है, और तीसरा हिस्सा पूर्वोत्तर भारत का जनजातीय इलाका है. इन संघर्षों की जमीनी हकीकत को समझने के लिए इसकी प्रकृति से संबंधित कुछ अहम तथ्यों को जानना जरूरी है. उत्तर में जम्मू-कश्मीर की समस्या...

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इंडिया एक्सक्लूजन रिपोर्ट--- 'वंचित भारत की एक तस्वीर'

क्या कभी आपने सोचा कि देश के शहरों में झुग्गी बस्तियां कितनी हैं, उनमें रहने वाले कौन हैं और झुग्गी-बस्तियों में इनका रहना जीना कैसा है ?अगर नहीं, तो नीचे लिखे तथ्यों पर गौर कीजिए!   देश में तकरीबन साढ़े तैंतीस हजार झुग्गी-बस्तियों होने के अनुमान हैं, महज एक दशक यानी 2001 से 2011 के बीच झुग्गी-बस्तियों में दलित आबादी में 31 फीसद का इजाफा हुआ है. कुछ राज्यों की झुग्गी-बस्तियों की...

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जीवन चलने का नाम : उदयपुर के प्रवासी मजदूरों की बदलती दुनिया

" यह सड़क कहां जाती है ? "सड़क कहीं नहीं जाती, इस पर आने-जाने वाले लोग जाते हैं." विजयदान देथा की एक कहानी में चतुर बुढ़िया ने अपनी हाजिरजवाबी से राजा और मंत्री को छकाने के लिए कहा था. पता नहीं उदयपुर जिले के जनजातीय इलाके गोगुन्दा, कोटड़ा और सलुम्बर में चतुर बुढ़िया की यह लोककथा प्रचलित है या नहीं लेकिन यहां के राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर बुढ़िया की बात फिट बैठती है. लाने-जाने के...

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