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पीएमजेएवाई का सच: कोविड-19 की दूसरी लहर में निजी बीमा कंपनियों ने की मनमानी

-डाउन टू अर्थ, स्वास्थ्य के क्षेत्र में बीमा केंद्रित दृष्टिकोण महामारी के दौरान कितना प्रभावी रहा?  कोरोना काल में बीमाधारकों के अनुभव बताते हैं कि उन्हें वादों के अनुरूप बीमा का लाभ नहीं मिला। ऐसे में क्या सरकार स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर फिर से अपना ध्यान केंद्रित करेगी? हम एक लंबी सीरीज के जरिए आपको बीमा के उन अनुभवों और सच्चाईयों से वाकिफ कराएंगे जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत जब थी,...

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ललितपुर: भावनी बांध से प्रभावित किसान बोले," सरकार या तो हमें रास्ता दे या हमारी जमीन खरीद ले"

-गांव कनेक्शन, "देखो वो सामने महुआ का पेड़ दिख रहा हैं वही हमारा खेत हैं उस साढ़े तीन एकड़ के खेत पर पहुँचने के लिए पांच किमी का चक्कर लगाना पड़ता हैं, क्योंकि नाले में बाँध का जो पानी भर आया हैं।" बढईयाँ नाले के उस तरफ दिख रहे खेत की ओर हाथ का इशारा करते हुऐ मुकुंदी प्रजापति (62 वर्ष) कहते हैं। मुकुंदी प्रजापति के गांव के करीब से निकले...

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सर्दियों में कोहरा और वायु प्रदूषण: केवल दिल्ली-एनसीआर की समस्या नहीं रहा: सीएसई

-डाउन टू अर्थ, ठंड के समय में धुंध (कोहरा) के साथ में गंभीर वायु प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिसे आमतौर पर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से जोड़ कर देखा जाता है लेकिन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के एक नवीनतम विश्लेषण में पाया गया है कि जब सर्दियों के दौरान प्रदूषण बढ़ता है तो यह पूरे उत्तर भारत में धुंध छाने जैसी घटनाएं देखने को मिलती हैं। इस संबंध में सीएसई की...

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प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना: क्या सरकार पूरा कर पाएगी देश के देहाती गरीबों के घर का सपना?

-गांव सवेरा, जिन योजनाओं के पूरा होने का साल 2022 स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा प्रचारित किया गया उनमें प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना भी शामिल थी. सरकार के अनुसार प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (पीएमएवाई-जी) को ग्रामीण क्षेत्रों में 2022 तक ‘सभी के लिए आवास’ प्रदान करने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप तैयार किया गया था. इस योजना का उद्देश्य 2022 तक कच्चे और जीर्ण-शीर्ण घरों में रहने वाले सभी बेघर लोगों को...

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केंद्र के अपारदर्शी नीलामी नियमों के चलते सरकार के ख़र्च पर दाल मिल मालिकों को हुआ जमकर मुनाफ़ा

-द वायर, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नीलामी प्रक्रिया में बदलाव करने के चलते गरीबों के लिए आवंटित कई टन दाल के जरिये मिल मालिकों की झोली भरी गई है. द रिपोर्टर्स कलेक्टिव द्वारा नीलामी दस्तावेजों की जांच से पता चलता है कि सरकारी खरीद एजेंसी नेफेड, जो कि कल्याणकारी योजनाओं के तहत कच्ची दालों को संसाधित करने के लिए मिल मालिकों को चुनती है, ने साल 2018 से लेकर अब तक...

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