SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 473

नवउदारवाद और राष्ट्रवाद के बीच में खेती-किसानी का भविष्य

-न्यूजक्लिक, सभी जानते हैं कि तीसरी दुनिया के देशों में मुक्ति का संघर्ष जिस साम्राज्यविरोधी राष्ट्रवाद से संचालित था, वह उस पूंजीवादी राष्ट्रवाद से बिल्कुल भिन्न प्रजाति की चीज थी, जिसका जन्म सत्रहवीं सदी में यूरोप में हुआ था। पश्चिम में इस तरह की प्रवृत्ति है, जिसमें प्रगतिशील भी शामिल हैं, जो राष्ट्रवाद को एकसार तथा प्रतिक्रियावादी श्रेणी की तरह देखती है। वे साम्राज्यविरोधी राष्ट्रवाद तक को यूरोपिय पूंजीवादी राष्ट्रवाद के...

More »

बुंदेलखंड: बादल मेहरबान, किसान फिर भी परेशान

-डाउन टू अर्थ, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में झांसी जिले के किसान सुबोध यादव पिछले तीन दशक से सफल किसान के रूप में अपनी फसलों से संतोषजनक पैदावार ले रहे थे। लेकिन पिछले पांच सालों में मौसम, खासकर बारिश के बदले मिजाज ने खरीफ की फसलों के उनके हिसाब किताब गड़बड़ा दिया है। इस साल उन्होंने बारिश के पहले अपने नौ बीघा खेत में दस हजार रुपए की लागत से तिल...

More »

भारत में दलहन नीति की आवश्यकता

-डाउन टू अर्थ, हर भारतीय रसोई में दाल का तड़का भारतीय आहार की एक विशिष्ट पहचान है ,जो अनाज के पूरक के साथ एक उच्च स्तरीय प्रोटीन का आदर्श मिश्रण प्रस्तुत करती है। दालों में विभिन्न अमीनो एसिड की उपस्थिति वाले शरीर निर्माण गुणों के कारण इनका सेवन किया जाता है। इनमें औषधीय गुण भी होते हैं। दलहन के उत्पाद जैसे पत्ते, पॉड कोट और चोकर पशुओं को सूखे चारे के रूप...

More »

दिन महंगे ही अच्छे!

-न्यूजक्लिक, लगता है कि विरोधी तो विरोधी, भक्त भी भागवत जी की बात को पूरी तरह समझ नहीं पाए। बेशक, भागवत जी ने जब पॉजिटिविटी अनलिमिटेड का सूत्र दिया था, तब कोविड महामारी ने कुछ ज्यादा ही तबाही मचा रखी थी। कोई आक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहा था, तो दवा की कमी से और कोई वेंटीलेटर की कमी से। कोई अस्पतालों के गलियारों में, तो कोई फुटपाथों पर। हद तो...

More »

खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों से गरीब और प्रवासी मजदूरों को बचाने की अनकही चुनौती!

30 मई, 2021 को राष्ट्र के नाम अपने मन की बात संबोधन में, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस तथ्य की सराहना की कि किसानों को रबी उत्पादन से संबंधित "सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक" प्राप्त हुआ. पीएम के इस बयान से आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हरियाणा (और अन्य जगहों) में सरसों उत्पादकों ने बेहतर कीमत पाने के लिए एपीएमसी मंडियों (राज्य...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close