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समावेशी कृषि हो 2022 के लिए विकास का रोडमैप

-रूरल वॉइस, अब देश के नीति निर्माताओं को अभी की जरूरत, वर्तमान संकट का उपाय जैसे शब्दों को नकार कर देश की समस्याओं के लिए स्थायी समाधान तलाशने होंगे। भ्रष्टाचार, निरक्षरता, शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, गरीबी, जलवायु परिवर्तन, घटता भूजल स्तर, वायु प्रदूषण, ठोस अवशेष, महिला सशक्तीकरण, बेरोजगारी, कृषि संकट, बाढ़, सुखाड़, लंबित न्याय, सकल घरेलू उत्पाद आदि मुद्दे आज देश के सामने हैं जिनको प्राथमिकता के आधार पर हल...

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वैक्सीन, किसान और अल्पसंख्यकों पर फर्जी खबरें: 2021 में कहां व्यस्त रहे भारत के फैक्ट-चेकर्स

-न्यूजलॉन्ड्री, साल 2021 में जो ख़बरें सुर्ख़ियों में रहीं उनमें प्रमुख थीं दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन, भारत में कोविड टीकाकरण, कोविड की विनाशकारी दूसरी लहर और चार राज्यों समेत एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव. वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े से जुड़ी ख़बरें छाई रहीं. यह वर्ष उपरोक्त सभी ख़बरों पर गलत सूचनाओं से भी भरा रहा. फैक्ट-चेकिंग पोर्टल्स ने इस साल कई फर्जी व्हाट्सएप...

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कोई भी जगह नहीं बची जहां माइक्रोप्लास्टिक न मिला हो: अध्ययन

-डाउन टू अर्थ, वायुमंडलीय माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण के उभरते खतरे ने उन क्षेत्रों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया है जिन्हें पहले प्लास्टिक की पहुंच से बाहर माना जाता था। दुनिया भर में इस समस्या की सीमा को समझने के लिए वायुमंडलीय माइक्रोप्लास्टिक की सीमा की जांच करना महत्वपूर्ण है। अब एक नए अध्ययन में पता चला है कि दुनिया भर में माउंट एवरेस्ट से लेकर मारियाना ट्रेंच तक हर जगह माइक्रोप्लास्टिक...

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भारतीय लोकतंत्र में लगातार बढ़ रही आर्थिक असमानता पर चर्चा कब होगी?

-जनपथ, विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के आंकड़ों के बाद भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता फिर चर्चा में है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में एक प्रतिशत सर्वाधिक अमीर लोगों के पास 2021 में कुल राष्ट्रीय आय का 22% हिस्सा था, जबकि शीर्ष 10% लोग राष्ट्रीय आय के 57 प्रतिशत भाग पर काबिज थे। हमारे देश की आधी आबादी सिर्फ 13.1 फीसदी कमाती है। रिपोर्ट के आने के बाद होने वाली चर्चाएं प्रायः शीर्ष...

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नवीनतम एनएफएचएस डेटा: कुल प्रजनन दर में गिरावट की प्रवृत्ति के बीच केरल और तमिलनाडु अपवाद बनकर उभरे‍!

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांचवें दौर (एनएफएचएस-5) के दूसरे चरण के आंकड़े जारी होने के बाद, मीडिया टिप्पणीकारों और विशेषज्ञों ने लिखा है कि भारत के लिए कुल प्रजनन दर (टीएफआर) प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता से नीचे चली गई है. साल 2015-16 में पूरे देश का कुल प्रजनन दर (टीएफआर) 2.2 थी, जो 2019-21 में घटकर 2.0 हो गई है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता तब...

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