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खाद्य सुरक्षा बिल- कुछ बुनियादी बातें

संसद के मौजूदा(बजट) सत्र में आखिरकार खाद्य सुरक्षा बिल पर चर्चा होने जा रही है। यह बिल यूपीए सरकार ने साल 2011 में लोकसभा में पेश किया था। आहार और बाल-स्वास्थ्य के मुद्दे पर काम करने वाले विभिन्न संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं और राज्यों द्वारा प्रस्तुत विविध आलोचनाओं के आलोक में इस बिल में कई और बदलाव किए जाने की संभावना है।यहां प्रस्तुत सामग्री में कोशिश की गई है कि भोजन का अधिकार बिल के बारे में जानकारी क्या-क्यों-कैसे-कौन...

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महामहिम, यही है हकीकत- अनुज कुमार सिन्हा

छह मार्च को हजारीबाग में शहीद निर्मल महतो पार्क के उदघाटन के मौके पर जब राज्यपाल पहुंचे, तो माल्यार्पण के लिए फूल तक नहीं था. जल्दबाजी में फूल का पूरा बोरा ही उठा कर लाया गया. मंच पर बैठने की ढंग से व्यवस्था तक नहीं थी. मंच छोटा था. अव्यवस्था थी. राज्यपाल नाराज हुए और कहा कि अपने लंबे राजनीतिक जीवन में राज्यपाल के कार्यक्रम में ऐसी अव्यवस्था नहीं देखी. वन...

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नाबालिग की उम्र तय करने पर सुप्रीम कोर्ट करेगा गौर

नई दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र से कहा कि वह बाल न्याय कानून में निहित प्रावधानों की ‘संवैधानिक वैधता’ की रक्षा करे। इन प्रावधानों के तहत अठारह साल तक की उम्र के व्यक्ति को नाबालिग माना गया है। केंद्र से विस्तृत जवाब मांगते हुए न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि अदालत न्यायिक आधार पर इस कानून की वैधता पर गौर करेगा।  इसलिए सरकार की ओर...

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यौन हिंसा की जड़ें- अजेय कुमार

जनसत्ता 29 जनवरी, 2013:  सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा की अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा गठित समिति का उद्देश्य था आपराधिक कानूनों और अन्य प्रासंगिक कानूनों में ऐसे संभव संशोधन सुझाना ताकि ‘महिलाओं पर चरम यौन हमलों के मामलों में तेजी से फैसला हो सके और मुजरिमों को कहीं ज्यादा सजा दिलाई जा सके।’ अभी इस समिति को बने ज्यादा समय नहीं हुआ कि बलात्कार की अन्य हालिया घटनाओं...

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इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2013 के परिणाम घोषित

हिन्दी और अंग्रेजी भाषा के आठ पत्रकारों का चयन विकासशील समाज अध्ययन पीठ(सीएसडीएस) द्वारा दी जाने वाली इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप के लिए हुआ है। चयनित पत्रकार देश के छह राज्यों से हैं। खोजी और सार्थक पत्रकारिता की श्रेष्ठ परंपरा का निर्वाह करते हुए चयनित फैलो ग्रामीण समुदाय की चिन्ताओं और समस्याओं को जन-सामान्य के बीच लाने और उस दिशा में नीतिगत हस्तक्षेप की जमीन तैयार करने के लिए, उनके बीच कुछ समय बितायेंगे। फैलोशिप के अभ्यर्थियों का...

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