जब कोई युवा पढ़ाई- लिखाई करके शहरों की ओर भागने की बजाय अपनी शिक्षा और नई सोच का उपयोग अपने गाँव, ज़मीन, अपने खेतों में करने लगे तो बदलाव की एक नई कहानी लिखने लगता है, ऐसे युवा यदि सरकार और संस्थाओं से सहयोग पा जाएं तो निश्चित ही क्रान्तिकारी परिवर्तन ला देते हैं। ऐसी ही एक कहानी है ‘जब शौच से उपजे सोना’ की और कहानी के नायक हैं युवा किसान श्याम मोहन त्यागी...... आर के...
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जलवायु परिवर्तन का जानलेवा असर बच्चों पर
बच्चे जलवायु-परिवर्तन के जिम्मेदार तो नहीं हैं लेकिन जलवायु परिवर्तन की सबसे गहरी चोट उन्हीं को लगेगी। जलवायु-परिवर्तन से बच्चों की जिन्दगी को सबसे ज्यादा खतरा है।बाल अधिकारों की वैश्विक संस्था सेव द चिल्ड्रेन द्वारा जारी फीलिंग द हीट-चाइल्ड सरवाईवल इन चेजिंग क्लाइमेट नामक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर बच्चों की सेहत को सबसे बड़ा खतरा जलवायु परिवर्तन से है।(देखें नीचे दी गई लिंक) रिपोर्ट...
More »हरित क्रांति का जनक
आज हमारे अन्न भंडार भरे हुए हैं। देश ने पिछले साल रेकॉर्ड 73.5 मिलियन टन गेहूं पैदा किया है। अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक नॉर्मन ई. बोरलॉग नहीं रहे, पर इसका बहुत कुछ श्रेय उन्हें भी जाता है। भारत और पाकिस्तान समेत कई और विकासशील देशों को अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में उनके द्वारा शुरू किए गए कृषि नवाचारों का योगदान रहा है। साठ के दशक में जब तत्कालीन...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
More »कोसी का कहर
कोसी का कहर अगस्त 2008 में बिहार के एक बड़े इलाके पर टूट पड़ा। कोसी को कभी बिहार का शोक कहा जाता था। जब यह नदी पूर्णिया जिले में बहती थी तब एक कहावत बड़ी चर्चित थी कि ‘जहर खाओ, न माहुर खाओ, मरना है तो पूर्णिया जाओ।’ इस नदी का यह स्वभाव था कि वह अपना रास्ता बदलती रहती थी। यह कब अपना रुख बदल लेगी, इसका अंदाजा लगाना...
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