कहा जाता है कि विकास केवल स्वतंत्र और पारदर्शी माहौल में ही संभव है। शैक्षिक और अकादमिक जगत के लिए भी यह सच है। शैक्षिक जगत में स्वतंत्रता और पारदर्शिता को केवल तभी कायम रखा जा सकता है, जब महत्वपूर्ण पदों पर चयन और नियुक्तियों में केवल और केवल योग्यता का खयाल रखा जाए और किसी तरह का कोई पक्षपात न किया जाए। वास्तव में गुणवत्ता के मानदंड शैक्षिक प्रक्रिया...
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क्या याशिनी बन पाएगी देश की पहली ट्रांसजेंडर पुलिस सब-इंस्पेक्टर?
चेन्नई। के. प्रथिका याशिनी के पास देश की पहली ट्रांसजेंडर पुलिस सब-इंस्पेक्टर बनने का मौका है। मद्रास हाईकोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में याशिनी को पुलिस सब-इंस्पेक्टर की शारीरिक परीक्षा में हिस्सा लेने की अनुमति दी है। उत्तीर्ण होने पर वे यह पद पाने वाली पहली ट्रांसजेंडर होंगी। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस टीएस शिवगंगनम ने पहली बेंच ने तमिलनाडु यूनिफॉर्म सर्विसेस रिक्रूटमेंट बोर्ड (TNUSRB) को निर्देश दिया है कि...
More »आत्महत्याएं कभी झूठ नहीं बोलतीं!- चंदन श्रीवास्तव
पुराने समय में ‘कागद की लेखी' और ‘आंखिन की देखी' के बीच अकसर एक झगड़ा रहता था. कागद की कोई लिखाई जिंदगी की सच्चाई से मेल ना खाये, तो फिर कबीर सरीखा कोई ‘मति का धीर' पोथी में समाये ज्ञान से इनकार भी कर देता था. यह अघट तो आधुनिक समय में घटा कि प्रत्यक्ष को मानुष पर और मानुष को आवेगों पर निर्भर मान कर शंका के काबिल मान...
More »जब भ्रष्टाचार संस्थागत रूप लेता है- बीके चतुर्वेदी
तीन दशक से भी पहले मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों और मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला संबंधी परीक्षा आयोजित करने के लिए व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) की स्थापना की गई थी। वह विचार बुरा नहीं था। आम तौर पर इस तरह के चयन से पारदर्शिता और निष्पक्षता को ही बढ़ावा मिलता है। हालांकि इसका एहसास नहीं था कि सरकारी क्षेत्र के एक संगठन में रोजगार देने की इतनी शक्ति...
More »भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार: वास्तविक तस्वीर-- अरुण जेटली
सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनरुद्धार संशोधन कानून, 2013 में उचित मुआवजे के अधिकार और पारदर्शिता के कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया। आखिरकार इस कानून में संशोधन की क्या जरूरत पड़ी और इन संशोधनों के क्या मायने हैं? इस बात का बार-बार उल्लेख होता रहा है कि भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 पुराना पड़ चुका है और इसमें संशोधन की जरूरत है। 1894...
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