SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 974

बजट 2017-2018 : पॉपुलिस्ट होने से बची केंद्र सरकार, एक अच्छा बजट-- गुरुचरण दास

विमुद्रीकरण की वजह से बीते कुछ समय से जिस तरह से अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता बनी रही है, वैश्विक अर्थव्यवस्था भी अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है, तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, हमारे निर्यात की हालत खराब है, इन सबके चलते हम सबको डर था कि यह बजट पूरी तरह से राजनीतिक होगा. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और यह बजट बहुत ही अच्छा रहा. यह भी लोगों...

More »

नोटबंदी से परेशान निम्न-मध्यम वर्ग व छोटे उद्यमियों को वित्त मंत्री ने की साधने की कोशिश-- राजेन्द्र तिवारी

धूम-धड़ाके वाली नोटबंदी से परेशान देश के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2017-18 के लिए निम्न व मध्यवर्ग को राहत देने वाला, सामाजिक व ग्रामीण क्षेत्र में आवंटन बढ़ाने और कृषि व किसानों के लिए सरकारी खर्च बढ़ाने वाला बजट पेश किया. यह पहला ऐसा बजट है जिसमें योजना और गैर योजना की श्रेणी खत्म कर दी गयी और रेलवे अन्य विभागों की तरह ही इसमें शािमल किया गया. वित्त...

More »

रबी का रकबा बढ़ा नहीं घटा है वित्तमंत्री जी !

नोटबंदी के असर को नकारने के लिए सरकार भले कहे कि रबी की बुवाई का रकबा 2016-17 में बढ़ा है लेकिन सच्चाई इसके उलट है.रबी का बुवाई का रकबा बढ़ा नहीं घटा है, बशर्ते तुलना के लिए आप ऐसे साल को चुने जो मॉनसून के लिहाज से सामान्य साल साबित हुआ हो.   नोटबंदी के तकरीबन दो महीने बाद नये साल की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा : "...दोस्तों, बीते...

More »

किसान-आत्महत्या : सबसे ज्यादा परेशान सीमांत और छोटे किसान !

मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की ! देश में खेती-किसानी का हाल कुछ ऐसा ही है. किसान-आत्महत्या के नये आंकड़े संकेत करते हैं कि बीते 2 सालों में देश में कृषि-संकट और ज्यादा गहरा हुआ है.   खेतिहर मजदूर से ज्यादा किसानों की आत्महत्या एनसीआरबी की नई रिपोर्ट के मुताबिक एक साल के भीतर(2014 से 2015) किसान-आत्महत्या की संख्या में 41.7 फीसद का इजाफा हुआ है जबकि आत्महत्या करने वाले खेतिहर मजदूरों की संख्या में तकरीबन एक...

More »

स्कूली शिक्षा में मामूली सुधार के संकेत पर स्थिति चिंताजनक

विद्यालयों की दशा देशव्यापी स्तर पर स्कूलों में सभी आयु वर्ग के नामांकन में बीते दो सालों में बढ़ोतरी हुई है, पर शैक्षणिक स्तर पर प्रगति असंतोषजनक है. बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में छह से 15 साल के 11.1 करोड़ बच्चों के पढ़ने की क्षमता खराब बनी हुई है. पूरे देश में स्कूली बच्चों की संख्या 25.2 करोड़ है. अगर इन चार राज्यों में शिक्षा में बेहतरी नहीं...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close