रांची से 32 किमी दूर रांची-पुरुलिया रोड से एक किमी बायें हटकर पहाड़ी की तलहटी में बसा चमघटी पाहनटोली गांव अपनी खूबसूरत भौगोलिक स्थिति व भरपूर हरियाली के कारण लोगों का मन मोह लेता है. पर इस गांव के लोगों की बदहाल जिंदगी व उनका दुख दिल को झकझोर देता है. 31 अगस्त को रांची के अनगड़ा प्रखंड के इस गांव की बीमार आदिवासी महिला लीलावती देवी की मिरगी या...
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जल विद्युत का तांडव- भरत झुनझुनवाला
केंद्र सरकार समेत सभी पहाड़ी राज्यों की सरकारें देश की सभी नदियों पर जल विद्युत के उत्पादन के लिए बांध बनाने को संकल्पित हैं. इनका मानना है कि इन परियोजनाओं से आर्थिक लाभ ज्यादा है. आर्थिक विकास का दबाव इतना अधिक है कि आर्थिक लाभ के लिए पर्यावरण ही नहीं, कानून को भी ताक पर रख कर परियोजनाएं बनायी जा रही हैं. इसका एक उदाहरण उत्तराखंड में अलकनंदा नदी पर बनायी जा...
More »मां बचे तो गांव बचे- देव प्रकाश चौधरी(रांची से लौटकर)
टेलीफोन की घंटी बजती है, तो अंजलि टोप्पो के चेहरे पर सुखद मुसकान तैर जाती है। रांची सदर हॉस्पिटल के लगभग सात बाई नौ के एक छोटे से केबिन में ममता वाहन कॉल सेंटर में लोगों के फोन कॉल्स सुनती हुई अंजलि खुद को खुशनसीब समझती है। वह कहती है, 'लोगों की मदद कर सुकून मिलता है।' चार जुलाई, 2011, इसी दिन रांची में ममता वाहन कॉल सेंटर शुरू हुआ...
More »पहाड़ से चिट्ठी- पंकज पुष्कर
जनसत्ता 11 अगस्त, 2012: कुदरत हमें थिरता और नर्तन दोनों सिखाती है। हर्ष और विषाद के बार-बार आने वाले ऐसे ही अवसरों के बीच पहाड़ों का स्वभाव बना है। उत्तरकाशी के उफनते बादल पहाड़ और कुदरत के रिश्तों की जटिलता की ओर ध्यान दिलाते हैं। भला ऐसा कैसे है कि आपदाओं के बीच भी पर्वतीय जीवन प्रकृति-प्रेम का सहजीवन है। बारिश को ही लें। यह मन में हिलोर पैदा करती है। लेकिन...
More »गंगा के गुनहगार- स्वामी आनंदस्वरुप
जनसत्ता 12 जुलाई, 2012: गंगा का नाम लेने मात्र से पवित्रता का बोध होता है। यह देश की एकता और अखंडता का माध्यम और भारत की जीवन रेखा के अतिरिक्त और बहुत कुछ है। गंगा जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी दोनों है। आज भी लगभग तीस करोड़ लोगों की जीविका का माध्यम है। मगर पिछली डेढ़ सदी से गंगा पर हमले पर हमले किए जा रहे हैं और हमें जरा भी अपराध-बोध नहीं...
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