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प्रेस की आज़ादी का सवाल अब पत्रकार बिरादरी की चौहद्दी के भीतर हल नहीं हो सकता

-जनपथ, अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2021 में भारत 142वें स्थान पर है। वर्ष 2016 से भारत की रैंकिंग में जो गिरावट प्रारंभ हुई थी वह अब तक जारी है। तब हम 133वें स्थान पर थे। आरएसएफ के विशेषज्ञों ने भारत के प्रदर्शन के विषय में अपनी टिप्पणी को जो शीर्षक दिया है वह अत्यंत महत्वपूर्ण है- “मोदी टाइटेन्स हिज ग्रिप ऑन द मीडिया“। यह टिप्पणी निम्नानुसार...

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गुजरात में हर चौथे दिन एक दलित महिला से होता है बलात्कार - बीबीसी एक्सक्लूसिव

-बीबीसी, गुजरात में बीते दस सालों के दौरान हुए अपराध के आंकड़ों से पता चलता है कि हर चार दिन में अनुसूचित जाति की एक महिला के साथ बलात्कार होता है. यह जानकारी बीबीसी गुजराती के सूचना के अधिकार के इस्तेमाल के ज़रिए मांगी गई जानकारी के जवाब में गुजरात पुलिस मुख्यालय से मिली है. ये आंकड़े सरकार के सुरक्षित गुजरात के दावे के उलट हैं. महात्मा गांधी के गुजरात में भयावह आकंड़ों...

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म्यांमार से मणिपुर आकर बसने वाले तमिल लोगों की कहानी

-बीबीसी, भारत के एक पूर्वोत्तर राज्य में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे क़स्बे में एक भव्य दक्षिण भारतीय मंदिर का दिख जाना किसी अचंभे से कम नहीं है. और यह जानकारी कि उस क़स्बे में क़रीब 3,000 तमिल समुदाय के लोग बसते हैं अपने आप में चौंकाने वाली बात है. ऐसा ही कुछ नज़ारा बीबीसी ने मणिपुर के सीमावर्ती क़स्बे मोरेह में देखा. यहाँ सुदूर तमिलनाडु से आए लोगों ने इस मणिपुरी क़स्बे...

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पंजाब में प्रवासी मज़दूरों को बंधुआ बनाने के दावों में कितनी सच्चाई?

-न्यूजक्लिक, भारत के गृह मंत्रालय ने पंजाब के मुख्य सैक्रेटरी और डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस को 17 मार्च को लिखी चिट्ठी में कहा है कि पंजाब के सरहदी जिलों में प्रवासी मज़दूरों को नशे की लत लगाकर उनसे बंधुआ मज़दूरी करवाई जाती है। चिट्ठी में यह भी लिखा है, “मज़दूरों से ज्यादा काम करवाने के बाद भी मेहनताना नहीं दिया जाता। पंजाब के सरहदी जिलों में काम कर रहे मज़दूरों में...

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गलत जेंडर पहचान, यौन हिंसा और उत्पीड़न: भारतीय जेलों में ट्रांसजेंडर होने की नियति

-द वायर, ए-4 आकार की एक नोटबुक नागपुर सेंट्रल जेल में किरण गवली द्वारा गुजारे गए 17 महीनों की गवाही देती है. किरण बगैर नागा किए हर दिन थोड़ा समय निकालकर दिन भर की घटनाओं का ब्यौरा लिखा करती थीं- नई बनाई गई दोस्तियों, वेदना, अकेलेपन और कभी -कभी दिल टूटने के बारे में. किसी-किसी दिन शब्द कविता की तरह बहकर आया करते थे, दूसरे दिनों में सिर्फ गुस्से से भरी कच्ची-पक्की...

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