मुंबई: महाराष्ट्र में बीड जिले के एक किसान ने आरोप लगाया है कि उसकी गिरवी रखी जमीन को छोड़ने के बदले साहूकार ने उससे उसकी बेटी और बहू का 'साथ' मांगा । पुलिस का कहना है कि वह किसान के आरोपों की जांच करेगी। बीड के एसपी अनिल पारस्कर ने कहा, ''किसान के दावों पर हमने कार्रवाई शुरू कर दी है और साहूकार के खिलाफ उचित कदम उठाया जाएगा।'' आइपीएस अधिकारी...
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सब्सिडी : कल्याण या राजनीति? मुफ्तखोरी के दुष्चक्र में फंसता देश
ज्यादातर देशों में एक ओर जहां राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए मुफ्तखोरी को हथियार बनाती हैं, वहीं इसी दुनिया में स्विटजरलैंड जैसा भी एक देश है, जहां की जनता ने सरकार की इस पेशकश को ठुकरा दिया. दूसरी तरफ भारत में देखें तो राजनीतिक पार्टियां और सरकारें मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्तखोरी को बढ़ावा देनेवाली नीतियों को प्रश्रय देती रहती हैं भारत जैसे कल्याणकारी राज्य में सब्सिडी एक जरूरी...
More »रिहाई के रास्ते--- मुजतबा मन्नान
अक्सर सलाह दी जाती है कि ‘कुछ भी करना भइया, लेकिन कोर्ट-कचहरी के चक्कर में कभी मत पड़ना।' घर-परिवार में भी बड़े-बुजुर्गों से समय-समय पर वकील, पुलिस और अदालतों को लेकर कहावतें और लोकोक्तियां सुनने को मिलती रहती हैं। एक संबंधी पर मुकदमा दर्ज होने के कारण मेरा पाला कचहरी से पड़ गया और इसकी जटिलताओं को अनुभव करना पड़ा। पुलिस स्टेशन से मुकदमे के कागज लेकर मैं वकील से...
More »कृषि ऋण की राह में मुश्किलें-- विभाष
बैंकों से किसानों को मिलनेवाले कृषि ऋण को लेकर कई भ्रांतियां हैं. बड़ी शिकायत यह रहती है कि ढेर सारे दस्तावेज बैंक में जमा करने पड़ते हैं. एक सेमिनार में एक बड़े उद्योगपति ने यह बात सबके सामने रखी. मैंने प्रतिकार किया कि कोई भी ऋण बिना न्यूनतम दस्तावेज के नहीं दिया जा सकता. कृषि ऋण के दस्तावेजों को सरल और मानक बनाने के उद्देश्य से रिजर्व बैंक ने वर्ष...
More »बढ़ती महंगाई की मुसीबत - संजय गुप्त
दालों के साथ-साथ टमाटर, आलू और अन्य खाद्य पदार्थों के दामों में वृद्धि ने मोदी सरकार की चिंता बढ़ा दी है। महंगाई आम जनता को प्रभावित करने वाली सबसे बड़ी समस्या होती है, लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि मोदी सरकार दाल और सब्जियों सरीखी आवश्यक वस्तुओं की कीमत में वृद्धि का सामना उन्हीं उपायों से करती नजर आ रही है, जो विगत में असफल साबित हो चुके हैं। बात चाहे...
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