-न्यूजलॉन्ड्री, सरकार और फेक न्यूज़ यह बड़ा विरोधाभासी लगता है कि हम कोरोना महामारी का इलाज बड़ी गंभीरता से खोज रहे हैं. जिसका इलाज भरसक कोशिशों के बावजूद अब तक संभव नहीं हुआ है. लेकिन ‘फेक न्यूज़’ से उत्पन्न हो रहे निरंतर खतरों को खतरा या बीमारी मानने को तैयार नही हैं, जबकि इसका इलाज हमारे नियंत्रण में है. इसमें एक तर्क हो सकता है कि अभी हमारी सरकार को ‘फेक न्यूज़’ से...
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लॉकडाउन में फैलती मर्दवाद की महामारी से कैसे निपटें?
-जनपथ, कोरोना वायरस ने भारत सहित पूरी दुनिया को बदल दिया है लेकिन दुर्भाग्य से इससे हमारी सांप्रदायिक, नस्लीय, जातिवादी और महिला विरोधी सोच और व्यवहार पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. आज दुनिया भर के कई मुल्कों से खबरें आ रही हैं कि लॉकडाउन के बाद से महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा के मामलों में जबरदस्त उछाल आया है. वैसे तो किसी भी व्यक्ति के लिये उसके “घर” को सबसे सुरक्षित...
More »सरकार जानती है, मजदूर बुरा नहीं मानते। लौट कर आएंगे, और कहां जाएंगे!
-जनपथ, श्रम, उत्पादन और निर्माण की प्रमुख धुरी है. श्रमिकों के बगैर इस दुनिया के गढ़े जाने की कल्पना नहीं की जा सकती. बावजूद इसके, पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिक हाशिये पर हैं. हर आने वाली सरकार ने श्रम कानूनों को लघु से लघुतर बनाया है. कार्यस्थलों पर सुरक्षा व्यवस्थाओं के अभाव में दुर्घटनाओं में मजदूरों का मरना बदस्तूर जारी है. बुनियादी सुविधाओं की मांग, हड़ताल, यूनियन, सब जैसे बीते जमाने की बातें...
More »भारत में कोरोना से बड़ा संकट नफ़रत और भूख है- अरुंधति रॉय
दुनियाभर में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बहुत गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं. आप अपने देश, जहाँ कई प्रकार की असमानताओं के कारण, स्थिति और भी जटिल हो जाती है, के बारे में हमारे दर्शकों को क्या कहना चाहेंगी? अगर संक्रमण के शिकार लोगों की संख्या पर नज़र डालें तो कोविड अभी तक भारत पर बड़े संकट के तौर पर नहीं नज़र आ रहा, हालाँकि इन आंकड़ों की विश्वसनीयता के...
More »लॉकडाउन या नॉकडाउन
न्यूजप्लेटफार्म, मैं इस बहस में नहीं पडूंगा कि भारत कोरोना के सामुदायिक प्रसार के दौर में है या नहीं क्योंकि यदि नहीं भी है तो बहुत जल्द पहुंच जाएगा. पहले दिन से ही यह स्पष्ट है कि भारत में कोरोना के नियंत्रण के लिए सम्पूर्ण लॉकडाउन किया जाना सही नहीं है. उसकी जनसांख्यिकी, उसकी अर्थव्यवस्था, उसका सामाजिक पिछड़ापन और इस सब से ज्यादा उसके शासन का पिछड़ा रवैया, जवाबदेही का अभाव...
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