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39.44 लाख करोड़ के बजट में आम लोगों को कोई राहत नहीं

-रूरल वॉइस, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 39.44 लाख करोड़ के बजट में आम लोगों को कोई राहत नहीं, इंडस्ट्री के लिए भी प्रावधान थोड़े वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पेश किए गए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में इनकम टैक्स दर या स्लैब से संबंधित प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया है। महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम होम को देखते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50,000 रुपये से...

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किसान आंदोलन: दायरा बढ़ाकर राष्ट्रीय मंच बनाने की जरूरत

-रूरल वॉइस, किसान नेता राकेश टिकैत ने कुछ महीने पहले कहा था कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो साल 2024 तक किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर धरने पर बैठने को तैयार हैं ।  टिकैत ने यह बयान तब दिया था जब किसान नेताओं औऱ सरकार  के बीच  लगातार बढ़ती  तनातनी के बीच जनवरी के बाद से सरकार  की तरफ  से औपचारिक बातचीत भी बंद हो गई । लेकिन...

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कॉरपोरेट टैक्स दरों को घटाने के बावजूद भी कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए नियमित रूप से टैक्स छूट और प्रोत्साहन जारी

अक्सर यह मुख्यधारा के अर्थशास्त्रियों द्वारा तर्क दिया जाता है कि हर साल केंद्रीय बजट का एक बड़ा हिस्सा बर्बाद हो जाता है क्योंकि सरकार खाद्य और उर्वरक सब्सिडी पर खर्च करती है. पूरे बजट के साथ-साथ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के सापेक्ष इन दोनों सब्सिडी के डेटा का उपयोग अक्सर इस तर्क को बल देने के लिए किया जाता है कि आर्थिक के साथ ही साथ देश की पर्यावरणीय...

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सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश

-जनपथ, OPEN SPACE सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश March 3, 2021 - by चौधरी सवित मलिक - Leave a Comment             तीन महीने हो चुके हैं दिल्ली के चारों तरफ किसान अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार अपनी हठधर्मिता के चलते किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है। 250 से अधिक किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं। आखिर सरकार...

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मीडिया आजाद है!

-आउटलुक, न कोई मीडिया मुगल है, न ही मीडिया की अपनी कोई ताकत बची है। रेंगते लोकतंत्र के साथ मीडिया का रेंगना उसके वजूद को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है, जहां लोकतंत्र को घुटने के बल लाने वाली सत्ता से कोई सवाल नहीं करना है, बल्कि सत्ता की ताकत को अपने साथ जोड़ना है। इस दौर में खबरों की गुणवत्ता या फिर देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण और लोगों...

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